सीख
अतः पाप-पुण्य की चिंता में समय न गँवाकर जो निरंतर हरि चिंतन में लगा रहता है, वह मेरे परम धाम को प्राप्त होता है। जितना समय, हमारा मन, भगवान के नाम, रूप, लीला, गुण और धाम में रहता है केवल उतना समय ही हम पाप से मुक्त रहते हैं। इस लिए सदैव हरिनाम लेते रहें, हरि चर्चा करते रहें, हरि कथा सुनते रहें।
श्रीमन्नारायण नारायण हरि हरि,तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी, हरि हरि!
अतः पाप-पुण्य की चिंता में समय न गँवाकर जो निरंतर हरि चिंतन में लगा रहता है, वह मेरे परम धाम को प्राप्त होता है। जितना समय, हमारा मन, भगवान के नाम, रूप, लीला, गुण और धाम में रहता है केवल उतना समय ही हम पाप से मुक्त रहते हैं। इस लिए सदैव हरिनाम लेते रहें, हरि चर्चा करते रहें, हरि कथा सुनते रहें।
श्रीमन्नारायण नारायण हरि हरि,तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी, हरि हरि!
प्रस्तुतिः दीपक डावर