दुकानदार चाय कार में देने के लिए चला गया। जब वहां उसने गुरु जी के देखा तो हैरान हो गया और फिर उसकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली।
एक बार एक गुरु जी सत्संग करके आ रहे थे। रास्ते में गुरु जी का मन चाय पीने को हुआ। उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा- बेटा! हमें चाय पीनी है। ड्राइवर ने गाड़ी एक बड़े होटल के आगे खड़ी कर दी। गुरु जी ने कहा- नहीं! आगे चलो।
यहां पर नहीं। फिर ड्राइवर ने गाड़ी एक और बड़े होटल के आगे खड़ी कर दी। गुरु जी ने वहां भी मना कर दिया। काफी आगे जाकर एक छोटे सी ढाबे जैसी एक दुकान आई।
गुरु जी ने कहा- यहां रोक दो। यहां पर पीते हैं चाय। ड्राइवर सोचने लगा कि अच्छे से अच्छे होटलों को छोड़कर गुरु जी ऐसी जगह चाय पीएंगे? खैर! वो कुछ नहीं बोला। फिर ड्राइवर चायवाले के पास गया और बोला- भाई! अच्छी सी चाय बना दो। जब दुकानदार ने पैसों वाला गल्ला खोला, तो उसमें उन्हीं गुरु जी का फोटो लगा हुआ था।
गुरु जी का फोटो देखकर ड्राइवर ने दुकानदार से पूछा- क्या तुम इन्हें जानते हो? कभी देखा है इन्हें? दुकानदार ने कहा- मैंने इनके दर्शनों को जाने के लिए पैसे इकट्ठे किए थे, जो कि चोरी हो गए और मैं जा नहीं पाया। पर मुझे यकीन है कि गुरू जी मुझे यहीं पर आकर मिलेंगे।
तब ड्राइवर ने कहा- भाई! जाओ और चाय उस कार में देकर आ जाओ। दुकानदार बोला- अगर मैं चाय देने के लिए चला गया, तो कहीं फिर से मेरे पैसे चोरी न हो जाएं। ड्राइवर ने कहा- भाई! तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो।
अगर ऐसा हुआ, तो मैं तुम्हारे पैसे अपनी जेब से दूंगा।
दुकानदार चाय कार में देने के लिए चला गया। जब वहां उसने गुरु जी के देखा तो हैरान हो गया और फिर उसकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली। दुकानदार की आंखों में आंसू देखकर गुरु जी ने कहा- तूने कहा था ना कि मैं तुम्हें यहीं मिलने आऊंगा, देखो! अब मैं तुमको मिलने आया हूं और तो तुम रो रहे हो। अपने गुरु के प्रति इतना प्यार था उस दुकानदार के अंदर था कि आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
सीख जब मन सच्चा हो, पवित्र हो, इरादे नेक हों और पूर्ण विश्वास हो, तो भगवन को भी अपने भक्त के लिए आना ही पड़ता है।