यह भी पढ़ें वाहन चेकिंग के नाम पर एआरटीओ कर रहे थे ऐसा काम कि हो गया विरोध, जमकर हुआ हंगामा रास्ते में राजा ने देखा कि एक बुजुर्ग व दुबला-पतला लकड़हारा पसीने में नहाया हुआ लकडिय़ां काट रहा था। राजा को उस पर दया आ गई। राजा उससे बात करने जा ही रहा था कि अचानक उसे पास की चट्टान में कुछ चमकता नजर आया। पास जाने पर पाया कि चट्टान की दीवारों में कई कीमती हीरे धंसे हुए थे। राजा यह सोचकर हैरान हुआ कि पास ही लकड़ी काट रहे लकड़हारे की दृष्टि इन हीरों पर क्यों नहीं पड़ी? वह लकड़हारे के पास गया और उससे प्रश्न किया, बाबा ! आपके सामने इतने हीरे पड़े हैं। यदि इनमें से एक हीरा भी आप बेच देंगे तो जिंदगीभर काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्या आपने इन हीरों को नहीं देखा?
यह भी पढ़ें 50 लाख रुपए लेकर जा रहे व्यापारियों के साथ यूपी पुलिस के सिपाहियों ने कर दिया ऐसा कांड, पुलिस अधिकारियों के भी उड़े होश लकड़हारे ने बिना अपना हाथ रोके कहा, बेटा ! ये हीरे तो वर्षों से देख रहा हूं किंतु मैं सोचता हूं कि ईश्वर ने मुझे हाथ-पैर परिश्रम करने के लिए दिए हैं न कि बैठकर खाने-पीने के लिए। हीरों की आवश्यकता उन्हें होगी, जिनका पुरुषार्थ समाप्त हो गया हो। मैं तो भगवान की दया से स्वस्थ हूं और अपना काम कर सकता हूं। राजा ने लकड़हारे की कर्मशीलता को नमन किया और आगे की राह ली।
यह भी पढ़ें सिपाही की शादी में पहुंची तो दूल्हा दुल्हन हुए आधी रात को गायब, जानिए आखिर क्या है पूरा मामला सीख मेहनत की कमाई सच्चा सुकून देती है। अत: यथाशक्ति पुरुषार्थ से ही आजीविका कमानी चाहिए
प्रस्तुतिः योगेश पुरी