” तुम लोग अपनी जान बचाओ मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा!”
धीरे-धीरे पानी का स्तर बढ़ता गया और पानी साधु की कमर तक आ पहुंचा, इतने में वहां से एक नाव गुजरी|
मल्लाह ने कहा- ” हे साधु महाराज आप इस नाव पर सवार हो जाइए मैं आपको सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दूंगा |”
“नहीं, मुझे तुम्हारी मदद की आवश्यकता नहीं है, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा।“ साधु ने उत्तर दिया.
नाव वाला चुप-चाप वहां से चला गया।
पर साधु फिर बोला-” मैं इसे नहीं पकडूँगा, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा |”
उनकी हठ के आगे बचाव दल भी उन्हें लिए बगैर वहां से चला गया |
मरने के बाद साधु महाराज स्वर्ग पहुंचे और भगवान से बोले -. ” हे प्रभु मैंने तुम्हारी पूरी लगन के साथ आराधना की, तपस्या की, पर जब मै पानी में डूब कर मर रहा था तब तुम मुझे बचाने नहीं आए, ऐसा क्यों प्रभु?
मित्रो, इस जीवन में ईश्वर हमें कई अवसर देता है। इन अवसरों की प्रकृति कुछ ऐसी होती है कि वे किसी की प्रतीक्षा नहीं करते है। वे एक दौड़ते हुए घोड़े के सामान होते हैं जो हमारे सामने से तेजी से गुजरते हैं। यदि हम उन्हें पहचान कर उनका लाभ उठा लेते है तो वे हमें हमारी मंजिल तक पंहुचा देते हैं, अन्यथा हमें बाद में पछताना ही पड़ता है|