50 साल की उम्र के बाद सुखी कैसे रहें, पढ़ें ये 15 अनमोल सुझाव
अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते हैं।
अब वो ज़माना नहीं रहा कि पिछले जन्म का कर्जा अगले जन्म में चुकाना है। आधुनिक युग में सब कुछ हाथों हाथ है। 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को यह बात जरूर ध्यान में रखनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि आप चूक जाएं। सुखमय वृद्धावस्था जीने के लिए 15 अनमोल बातें यहां प्रस्तुत हैं।
1. अपने स्वंय के स्थायी आवास पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें। 2. अपना बैंक बैलेंस और भौतिक संपति अपने पास रखें, अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोंचे। 3. अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते हैं। 4 .उन लोगों को अपने मित्र समूह में शामिल करें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हों, यानी सच्चे हितैषी हों। 5. किसी के साथ अपनी तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें। 6. अपनी संतानों के जीवन में दखलंदाजी ना करें, उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप अपने तरीके से जीवन व्यतीत करें। 7. आप अपनी वृद्धावस्था का आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने तथा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें ! 8. लोगों की बातें सुनें लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें। 9. प्रार्थना करें लेकिन भीख ना मांगें, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफी एवं हिम्मत। 10. अपने स्वास्थ्य का स्वंय ध्यान रखें चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टिक भोजन खाएं और यथासम्भव अपना काम अपने हाथों से करें। छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरीक परेशानियां चलती रहतीं हैं। 11. अपने जीवन को उल्लासपूर्वक जीने का प्रयत्न करें, खुद प्रसन्न रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें। 12. प्रतिवर्ष छोटी – छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं, इससे आपके जीने का नज़रिया भी बदलेगा। 13. किसी भी तरह के टकराव को टालें एवं तनावरहित जीवन को जिएं! 14. जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं रहता, चिंताएं भी नहीं, इस बात का विश्वास करें। 15. अपने सामाजिक दायित्वों, जिम्मेदारियों को अपने रिटायरमेंट तक पूरा कर लें, याद रखें, जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं।