अलग हाईकोर्ट के मुद्दे पर अब से पहले एक लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। अब निकट भविष्य में चुनावों की आहट शुरू होते ही यह मुद्दा फिर से उठ गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने केंद्री विधि मंत्री को एक पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग उठाई है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि मौजूदा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के भवन को दो हिस्सों में बांटकर हरियाणा व पंजाब की अलग-अलग हाईकोर्ट बनाया जा सकती है। पत्र में दलील दी गई है कि जिस तरह से हरियाणा और पंजाब विधानसभा का एक ही भवन है लेकिन दोनों राज्यों की विधानसभाएं अलग-अलग काम करती हैं, ठीक उसी तर्ज पर हरियाणा व पंजाब की अलग-अलग हाईकोर्ट संचालित की जा सकती हैं।
हरियाणा की अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट बरसों से बड़ा मुद्दा रहा है। राजधानी चंडीगढ़ पर न हरियाणा और न ही पंजाब अपना हक छोडऩे को तैयार हैं। हरियाणा सरकार ने हालांकि दक्षिण हरियाणा में हाईकोर्ट की एक बेंच स्थापित करने की दिशा में भी रुचि दिखाई, मगर वह भी सिरे नहीं चढ़ पाई। अब मुख्यमंत्री ने अलग हाईकोर्ट के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए हैं। सरकार का मानना है कि दक्षिण में अलग बेंच बनाने से पहले अलग हाईकोर्ट जरूरी है।
क्या है हाईकोर्ट का वर्तमान ढांचा
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में फिलहाल 3 लाख 40 हजार केस लंबित चल रहे हैं। इनमें 40 फीसदी से अधिक केस हरियाणा के हैं। हाईकोर्ट में 49 न्यायाधीश कार्य कर रहे, जबकि वर्कलोड के हिसाब से 85 से 90 न्यायाधीशों की जरूरत है। हाईकोर्ट में आए दिन लगाई जाने वाली जनहित याचिकाओं के चलते लंबित केसों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री का मानना है कि हाईकोर्ट का मौजूदा भवन एक है। उसी भवन को दो हिस्सों में बांटकर अलग-अलग हाईकोर्ट बनाई जा सकती है। इससे अतिरिक्त पैसा अथवा संसाधन भी खर्च नहीं होंगे और हरियाणा व पंजाब के केस संबंधित हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे। चंडीगढ़ के केस यहां की जिला अदालत में लड़े जाएंगे और केस की प्रकृति के हिसाब से उन्हें हरियाणा या पंजाब हाईकोर्ट में चैलेंज किया जा सकेगा।