scriptबूढ़ी बस दे रहीं रोडवेज पर माइलेज की मार | Mileage hits on roadways old buses | Patrika News

बूढ़ी बस दे रहीं रोडवेज पर माइलेज की मार

locationकरौलीPublished: Jul 21, 2019 03:02:32 pm

Submitted by:

Anil dattatrey

Mileage hits on roadways old buses. More than half of the buses hit.Hinduncity roadways depot .Condition of HindonCity Roadways Depot
आधी से अधिक बसें हो चुकी खटारा. हिण्डौनसिटी रोडवेज डिपो की हालत

hindaun karauli news

बूढ़ी बस दे रहीं रोडवेज पर माइलेज की मार

अनिल दत्तात्रेय

हिण्डौनसिटी. रोडवेज के बेड़े में पुरानी और खटारा बसें इसके घाटे को और बढ़ाकर परिवहन निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहीं हैं। और यदि किसी डिपो की आधी से अधिक बसें पुरानी और खटारा हों तो उसकी माली हालत का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही यहां हिण्डौनसिटी रोडवेज डिपो में देखने को मिल रहा है। यहां डिपो के अधीन कुल बसों में से आधी बसें कम माइलेज देकर डीजल की खपत बढ़ा रही हैं। इससे निगम को प्रतिकिलोमीटर एक से डेढ़ रुपए का नुकसान हो रहा है। वहीं डिपो प्रबंधन बेहतर हालत की दूसरी बसों के माइलेज के आंकड़ों के जोड़ तोड़ से कागजों में माइलेज के लक्ष्य को छूने का प्रयास कर रहा है।

हिण्डौन डिपो की 84 बसों में से अनुबंध की 12 बसों के अलावा रोडेवज की 67 बसें ऑन रूट संचालित हैं। जबकि सात बसें इंजन के अभाव में डिपो अथवा जयपुर कार्यशाला में खड़ी हैं। रोडवेज सूत्रों के अनुसार रोडवेज निगम की धरोहर में शुमार 67 में से 35 बसेें 10 बर्ष से अधिक पुरानी होने से 12-15 लाख किलोमीटर का सफर करने से माइलेज के मानक पर खरी नहीं हैं। रोडवेज द्वारा डिपो की बसों के लिए 5.20 किलोमीटर प्रति लीटर का लक्ष्य तय किया हुआ। जबकि अवधि पार होने से कण्डम खटारा हुई बसों का माइलेज की सूई 4 से 4.5 किलोमीटर प्रतिलीटर पर अटक गई है। कई बसों का माइलेज 3.97 किलोमीटर प्रति लीटर ही है। मानकों के मुताबिक खटारा श्रेणी में शुमार 35 बूढ़ी बसें भी लोकल रूटों पर करीब 12 हजार 250 किलोमीटर का सफर करती है। नई बसों की तुलना में इन बसों में रोजाना करीब 350 लीटर डीजल अधिक खपत होती है। यानी रोडवेज को खटारा बसों में यात्रियों को करना महंगा पड़ रहा।
रोज 28 हजार किमी दौड़ती बसेें-
रोडवेज सूत्रों के अनुसार हिण्डौन डिपो की बसों 77 शिड्यूलों पर हर रोज 28-29 हजार किलोमीटर दौड़ती हैं। इसके एवज में डिपो में स्थापित एचसीएल के पम्प से 5 हजार लीटर डीजल की खपत होती है। ऐसे में तेल कम्पनी से डिपो को हर तीसरे दिन 12 हजार लीटर की क्षमता के टैंकर के आपूर्ति की जाती है।
बूढ़ी बसें भी नापती 350 किमी सडक़-
किलोमीटर लक्ष्य के लिए डिपो की हरेक प्रति दिन करीब 350 किलोमीटर चलाई जाती है। लोकल रुटों पर कण्डम श्रेणी में पहुंची 35 बसें भी सडक़ों पर दौड़ती हैं। यानी डिपो की बूढ़ी बसेंं भी दिन भर मेंं करीब 12 हजार 250 किलोमीटर संचालित हो लक्ष्य के करीब 45 फीसदी सफर को पूरा करती हैं।

यंू समझें माइलेज मार-
हिण्डौन से करौली की 30 किलोमीटर की दूरी को मानकों के अनुसार नई बस करीब साढ़े पांच लीटर डीजल खर्च कर तय करती है। वहीं बूढ़ी बसें इस सफर को साढ़े 6 से 7 लीटर डीजल तय करती हैं। यानी एक से दो लीटर डीजल की ज्यादा खपत होती है।
इनका कहना है-


नई बसें व इंजन मिले तो बढ़े माइलेज
पचास फीसदी बसें पुरानी हंै, इंजन मरम्मत मांग रहे हैं। नई बसें व इंजन मिलें तो माइलेज की मार से राहत मिलेगी।
-भाईराम गुर्जर, प्रबंधक (संचालन) हिण्डौन डिपो, राजस्थान परिवहन निगम।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो