वहीं करीब 350 लोग प्रतिमाह श्वानों के काटने का शिकार हो रहे हैं। गौरतलब है कि यह आंकड़े केवल श्वानों से काटने के हैं। अन्य जानवरों के काटने से पीड़ितों की संख्या जोड़ी जाए तो अकेले मार्च माह में यह 419 तक पहुंच गई थी। लोगों ने नगरपरिषद और प्रशासन से ऐसे श्वानों को चिन्हित कर पकड़वाकर अन्यत्र छुड़वाने की मांग की है।
न चिन्हित किया, न स्टरलाइज
इतना होने के बावजूद नगर परिषद की अनदेखी यह है कि अब तक न तो श्वानों को चिह्नित किया और न ही स्टरलाइज किया गया है। ऐसे में लोगों की सुरक्षा रामभरोसे है। आवारा श्वानों पर नियंत्रण के लिए अब तक इनकी नसबंदी नहीं की गई है और न ही इसके लिए ऑपरेशन थियेटर आदि की कोई व्यवस्था की है।
माह दर माह बढ़ रहे केस
सूत्रों के अनुसार श्वानों के काटने से जख्मी करीब 200 लोग प्रतिमाह चिकित्सालय आते थे, लेकिन पिछले तीन माह में केस लगभग दो गुना तक बढ़ गए हैं। अक्टूबर 2023 में श्वानों के काटने से जिला अस्पताल में आने वाले रोगियों की संख्या 168 थी। इसके बाद से यह आंकड़ा बढ़ता गया। नवंबर 2023 में रोगियों की संख्या 186 पहुंच गई। दिसंबर में 280 लोगों को श्वानों ने काटकर जख्मी किया। जनवरी 2024 में 339, फरवरी और मार्च में 356-356 लोग श्वानों के काटने से घायल हो चुके हैं।
शहर से गांव तक हो रही मुश्किल
शहर में भूडारा बाजार, चटीकना, रणगवां तालाब, 132केवी आदि स्थानों पर श्वानों का खतरा बना हुआ है। कई इलाके ऐसे हैं जहां श्वानों के हमले के कारण सूरज छिपते ही अंधेरे में लोगों विशेषकर बच्चों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा करौली से कैलादेवी तक करसाई, काशीरामपुरा आदि गांवों, कोसरा, बुगड़ार, मांची आदि में भी श्वान लोगों को जमी कर रहे हैं।
माह –जख्मी
नवंबर 2023 — 186 दिसंबर 2023– 280 जनवरी 2024–339 फरवरी 2024– 356 मार्च 2024– 356 केसों की संख्या में हो रही वृद्धि
श्वानों के काटने के केसों की संख्या तीन माह में बढ़ी है। किसी भी जानवर के काटने पर सरकारी चिकित्सालय में नि:शुल्क इंजेक्शन लगाए जाते हैं। – डॉ. रामकेश मीणा, पीएमओ, करौली। अभी तक श्वानों का सर्वे तथा उन्हें चिह्नित नहीं किया गया है। स्टरलाइजेशन के लिए इसकी प्लानिंग बनाने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। – करणी सिंह, आयुक्त, नगर परिषद, करौली