भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में करौली जिले के हिण्डौन शहर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभा करने को आए जबकि कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ( Congress President Rahul Gandhi ) ने धौलपुर जिले के सैंपऊ में चुनावी सभा की। इन नेताओं के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ( Madan Lal Saini ), राष्ट्रीय नेता प्रकाश जावडेकर ( prakash javedkar ), पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ( Rajendra Rathore ) ने भी चुनावी सभाएं की और कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर चुनाव प्रचार को गति दी।
इधर, कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ), उपमुख्यमंत्री तथा प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ( Sachin Pilot ), चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ( raghu sharma ) ने चुनावी सभाओं के लिए दोनों जिलों में दौरे किए। करौली जिले में चुनाव प्रचार की कमान को पूरी तरह से काबीना मंत्री रमेश मीणा संभाले हुए रहे।
पिछले चुनाव में यहां से भाजपा के मनोज राजौरिया 27 हजार मतों से विजयी हुए थे। इस बार भाजपा ने फिर राजौरिया पर विश्वास जताते हुए प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने नए चेहरे को मौका देते हुए संजय जाटव को प्रत्याशी बनाया है। मुख्य टक्कर इन दोनों के बीच ही है। वैसे इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा की स्थिति पिछले विधानसभा चुनाव में कमजोर रही थी। दोनों जिलों में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र हैं। चार माह पहले हुए विधान सभा चुनाव में दोनों जिलों में भाजपा की स्थिति कमजोर रही। करौली में तो भाजपा का खाता ही नहीं खुल सका। जबकि धौलपुर में भाजपा केवल धौलपुर सीट पर जीत सकी थी।
अधिक मतदान है चुनौती करौली पिछले चुनाव में सबसे कम मतदान करौली धौलपुर सीट पर हुआ था। प्रचंड गर्मी और सावे के कारण विवाह शादियों की अधिकता से निर्वाचन आयोग के लिए करौली धौलपुर संसदीय क्षेत्र पर अधिक मतदान कराना एक चुनौती बना हुआ है। यह चुनौती इसलिए विशेष है कि पिछले 2014 के संसदीय चुनाव में यहां पर प्रदेश में सबसे कम 54.70 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमें भी सपोटरा क्षेत्र में मात्र 45 प्रतिशत मत डल पाए थे जो राजस्थान में किसी विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम थे। इसी प्रकार राज्य में महिला मतदान का प्रतिशत भी इस सीट पर पिछले चुनाव में सबसे कम रहा था। महिला मतदाताओं ने 50 प्रतिशत मत डाले थे।
इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले में स्थिति और भी विषम है। एक तो गर्मी है दूसरे सावे के कारण लोगों की इधर उधर आवाजाही है। ऐसे में अधिक मतदान को लेकर निर्वाचन से जुड़े अधिकारी भी चिंतित दिखते हैं। पिछले इतिहास और मौजूदा परिस्थितियों को देखकर निर्वाचन आयोग ने इस सीट पर मतदान बढ़ाने के लिए अधिक फोकस किया था। पूरे एक माह से विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए मतदाताओं को जागरुक करने की अच्छी मुहिम चलाई।