रिटायर प्रो. संतोष कुमार ने बताया कि शुगर इंडस्ट्री में एक साल में करीब 30 मिलियन टन पानी यूज किया जाता है. अगर चीनी मिलें ट्रिपल आर के फार्मूले पर ध्यान केन्द्रित करेंगी तो पानी की 50 परसेंट तक बर्बादी रोकी जा सकती है. अगर इस टेक्नोलॉजी को प्रयोग किया तो नेचुरल सोर्सेज का भी संरक्षण करने में कामयाबी हासिल होगी. उन्होंने चीनी मिलों से निकलने वाले इफ्लूएंड के शोधन पर जानकारी दी. इसके साथ ही वेस्ट वाटर में सल्फेंट की मात्रा को कम करने को कहा.
शुगर मिल के पानी का इस्तेमाल खेती की सिंचाई मे किया जा सकता है. बीओडी को 30 पीपीएम से कम करके इस पानी से सिंचाई की जा सकती है. डॉ. विष्णु ने इस बात को साफ कहा कि जब तक शुगर इंडस्ट्री अपने प्लांट को अपग्रेड नहीं करेंगी तब तक वह पॉल्यूशन को कम नहीं कर सकती हैं. प्लांट को अपग्रेड करने के बाद ही इसका असर खुद ब खुद दिखाई देने लगेगा.