बर्रा-दो में किराए पर रहने वाले निजी फर्म के सेल्समैन नितिन कुमार के यहां आठ सितंबर को बेटा पैदा हुआ। उसके सिर के पीछे का बढ़ा हुआ हिस्सा देखकर घरवालों को सदमा लग गया। बच्चे को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट था। यह एक जानलेवा बीमारी है।
यह दिमाग और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति है। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट गर्भावस्था के पहले 5 हफ्तों में ही हो जाता है। अगर बच्चे को इलाज मिल जाए तो वह बच सकता है। फॉलिक एसिड की कमी से गर्भ में पल रहे बच्चों को ऐसी विसंगति हो सकती है। इसका इलाज केवल ऑपरेशन ही है, जिसका खर्च एक लाख रुपए आता है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिव कुमार ने नितिन को आरबीएसके के बारे में जानकारी दी। इसके तहत जिले में न्यूरो के इलाज की सुविधा न होने के कारण रोगी को 13 सितंबर को वाराणसी के बीएचयू अस्पताल रेफर किया गया। एंबुलेंस से परिजन और नवजात वाराणसी गए। जहां 20 सितंबर को नवजात का मुफ्त ऑपरेशन हुआ।
आरबीएसके के डीईआईसी प्रबंधक अजीत सिंह ने बताया कि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का ऑपरेशन योजना के तहत झांसी और वाराणसी के अस्पताल में ही उपलब्ध है। यह जन्मजात बीमारी है। योजना में शून्य से 19 वर्ष तक के बच्चों की 40 तरह की गंभीर बीमारियों का उपचार मुफ्त में किया जाता है।