scriptकानपुर की मछलियां पड़ीं बीमार, खाने वालों के दिल और दिमाग को हो रहा नुकसान | Sick of eating fish in Kanpur | Patrika News

कानपुर की मछलियां पड़ीं बीमार, खाने वालों के दिल और दिमाग को हो रहा नुकसान

locationकानपुरPublished: Jul 11, 2019 11:21:42 am

मछलियों में भारी मात्रा में पेस्टीसाइड, लेड और मरकरी पाया गया गंगा में बहाए जाने वाले औद्योगिक कचरे का मछलियों पर असर

channa fish in kanpur

कानपुर की मछलियां पड़ीं बीमार, खाने वालों के दिल और दिमाग को हो रहा नुकसान

कानपुर। मछली का सेवन करने वाले होशियार हो जाएं। गंगा और उससे जुडऩे वाली छोटी नहरों के दूषित पानी के चलते मछलियां भी बीमार हो चुकी हैं, जिन्हें खाने वाले दिल और दिमाग की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। एक रिसर्च में कानपुर की मछलियों में बड़ी मात्रा में पेस्टीसाइड के साथ लेड और मरकरी मिला है। जो शरीर के लिए घातक है।
चनना मछलियों पर किया रिसर्च
सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कानपुर की चनना मछलियों पर रिसर्च के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विवि (एकेटीयू) के डीन रिसर्च प्रो एमके दत्ता व उनकी टीम ने अभी हाल में डिजिटल इमेज टेक्नोलॉजी के जरिए शोध किया। इसके जरिए चनना मछली की आंख व गिल की जांच की गई। इसमें सामान्य मछली व दूषित मछलियों की आंख की पुतलियों व गिल्स में काफी फर्क पाया गया। जो मछलियां दूषित हैं उनकी आंखों के रंग व पुतलियों में बदलाव देखा गया है।
आंखें देखकर बीमारी खोजी
मछलियों की आंख व गिल की डिजिटल इमेज क्लिक करके उनकी जांच की गई। डिजिटल कैमरे के जरिए निर्धारित दूरी से सैकड़ों दूषित व सही मछलियों की आंख की तस्वीर ली गई। कम्प्यूटर एनालिसिस से पता लगा कि सामान्य मछलियों के आंखों की पुतलियां अलग आर्क बनाती है जबकि दूषित व भारी मात्रा में मेटल खाने वाली मछलियों की पुतलियां अलग तरह के आर्क बना रही हैं। मछलियों की आंखों के रंग में भी फर्क पाया गया। डिजिटल इमेज दूषित मछलियों की आंखों का रंग हरा पाया गया।
मोबाइल एप से पहचानें दूषित मछली
आम इंसान आसानी से मछलियों की जांच करा भी नहीं सकता है लेकिन डिजिटल इमेज टेक्नोलॉजी आने के बाद एक इंसान बाजार में मछली खरीदते समय उसमें धातु होने का पता लगा सकेगा। इसके लिए मोबाइल एप भी तैयार करने की योजना है। इसमें मछली खरीदते समय कोई भी व्यक्ति मछली की आंख या गिल की फोटो क्लिक करके मोबाइल एप में अपलोड करेगा तो ऐप बता देगा कि यह मछली दूषित या फिर स्वस्थ है।
औद्योगिक कचरा कर रहा बीमार
कानपुर की गंगा नदी में बड़ी संख्या में चनना मछली पाई जाती हैं। इन दोनों नदियों का बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा बहाया जाता है। इंडस्ट्रियल वेस्ट में मरकरी की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है। पेंट बनाने, डेंटल फिलिंग उपकरण, बैटरी, स्किन लाइटिंग क्रीम आदि बनाने में मरकरी का इस्तेमाल किया जाता है। फैक्ट्रियों में बचने वाले कूड़ा करकट को नदियों में बहा दिया जाता है। जिसे ताजे पानी की मछलियां खा लेती हैं और बीमार पड़ जाती हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो