इलेक्ट्रोलाइट डिसऑर्डर तब होता है जब हमारे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट या तो बहुत अधिक हो जाता है या फिर बहुत कम। इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर में प्राकृतिक रूप से घटित होता है और यौगिक होता है। ये महत्वपूर्ण शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है। इलेक्ट्रोलाइट डिसऑर्डर जब कम होता है तो वो आपके शरीर को प्रभावित नहीं करता है। इस डिसऑर्डर के बारे में पता करने के लिए ब्लड टेस्ट कराना आवश्यक होता है। इसके कई लक्षण होते हैं जिससे आप पता लगा सकते हैं कि आपको इलेक्ट्रोलाइट डिसऑर्डर से ग्रसित हैं।
अगर धड़कनें तेज हो जाएं और थकान, मिचली की समस्या हो तो यह इसका लक्षण हो सकता है। इसके अलावा पेट से जुड़ी समस्या जैसे- डायरिया, कब्ज, दस्त और एसिडिटी, पेट में ऐंठन महसूस करना, मांसपेशियां कमजोर हो जाना, चिड़चिड़ाहट महसूस होना, अत्यधिक सिरदर्द होना, हाथ-पैर सुन्न हो जाना भी इसके संकेत देता है।
इलेक्ट्रोलाइट डिसऑर्डर के दौरान उल्टी, दस्त या अत्यधिक पसीना आने जैसी समस्या होने लगती है। फ्लूइड से संबंधित द्रव के नुकसान के कारण भी ये समस्या विकसित हो सकती है। कुछ दवाइयों के कारण भी इलेक्ट्रोलाइट डिसऑर्डर हो सकता है। हमारे शरीर में पाए जाने वाले इलेक्ट्रोलाइट में कैल्शियम, क्लोराइड, मैग्निशियम, फॉस्फेट, पोटेशियम, सोडियम तत्व हमारे शरीर, फ्लूइड और यूरिन में पाए जाते हैं। ये सारे तत्व खाने, पेय पदार्थ और अन्य सप्लीमेंट के जरिए हमारे शरीर में जाते हैं। शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा सही होनी चाहिए ताकि आपका शरीर सही से काम कर सके।
डॉ. गिरी ने बताया कि डायरिया हो तो लोग शरीर में पानी की कमी न होने दें। जितनी जल्दी हो डॉक्टर के पास पहुंचें। यह गर्मी पेट और आंतों के लिए बेहद परेशान करने वाली है। साथ ही लोग पानी संभाल कर पीएं। खानपान ठीक रखें। किसी को बासी खाना नहीं खाना है।