विल्सन बीमारी के चलते मरीज के खून में कापर की मात्रा बढ़ जाती है। मरीज के लिवर में गड़बड़ी, लिवर सोरासिस, ब्रेन के उस हिस्से की नसें खराब हो जाती हैं,जिनसे शरीर का संतुलन बनता है। सनफ्लावर मोतियाबिंद हो जाता है जिसमें आंखों का लेंस खराब हो जाता है। मरीज जेबा की मां अखतरी का कहना है कि लम्बे समय से यह बीमारी है। ठीक नहीं हो रहा है।
विल्सन रोग एक स्थिति है, जिससे शरीर में कॉपर पॉयजनिंग हो जाती है। यह दुर्लभ जेनेटिक म्यूटेशन के कारण होती है। जब विकृत एक्स-एक्स या एक्स-वाय जीन्स माता-पिता से बच्चों में स्थानांतरित हो जाते हैं तो, जब दोनों विकृत जीन्स, माता-पिता प्रत्येक से एक, आपस में मिलते हैं तब यह होता है। यह सेरूलोप्लाज्मिन एंजाइम को प्रभावित करते हैं जो शरीर में कॉपर मेटाबॉलिज्म के लिए जिम्मेदार है।
आमतौर पर स्वस्थ शरीर में लिवर अतिरिक्त और अनावश्यक कॉपर को फिल्टर कर लेता है। इसे यूरिन द्वारा निकाल देता है लेकिन, विल्सन रोग में लिवर अतिरिक्त कॉपर को बाइल में नहीं निकाल सकता, जो जरूरी है। कॉपर लिवर में जमा होकर अंगों को क्षतिग्रस्त करता है। इसके कारण रक्त में अतिरिक्त कॉपर आ जाता है, वह मस्तिष्क, किडनी, आंखों और लिवर तक पहुंच जाता है और वहां जमा होने लगता है। उपचार न कराया जाए तो विल्सन रोग के कारण मस्तिष्क गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है या लिवर ध्वस्त हो सकता है और मृत्यु हो सकती है।
विल्सन रोग के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। विल्सन रोग के साथ जन्म लेने वाले व्यक्ति में इस डिसऑर्डर के लक्षण 6-20 वर्ष आयु वर्ग में दिखाई देने लगते हैं। कईं दुर्लभ मामलों में, लक्षण 40 वर्ष की उम्र में दिखाई देते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में व्यक्तित्व में बदलाव आना, बोलने संबंधी विकृति, लैंगिक-अति सक्रियता, अनियंत्रित आक्रामक व्यवहार, अवसाद आदि लेकिन, अगर लिवर में कॉपर का जमाव हो जाता है तो शरीर में ये लक्षण दिख सकते हैं जैसे लिवर में सूजन, पेट की आंतरिक परत में तरल का जमाव, कमजोरी, थकान महसूस होना, वजन कम होना, एनीमिया, अमीनो एसिड का उच्च स्तर, प्रोटीन, यूरिक एसिड, उल्टी, भूख न लगना, बार-बार पीलिया होना, हाथों व पैरों की मांसपेशियों में ऐंठन आदि संकेत नजर आते हैं।
इलाज कर रहे डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि यह बीमारी आंखों में केशर फिशर रिंग से पकड़ में आ गई। मरीज जेबा के आंखों में गहरी रिंग है। मरीज की मां की आंख गल चुकी है। दूसरी बेटी में यह रिंग देखी गई तो जांच शुरू हुई। मरीज को हेपेटाइटिस बी या सी नहीं है फिर भी लिवर खराब होने पर दूसरी जांच की गई। मरीज का इलाज किया जा रहा है।
डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि तीन पीढिय़ों से यह बीमारी खानदान में चल रही है। मां को है उनकी अन्य बेटियों को भी यह बीमारी है। कुछ में बीमारी उभर आई। मां की आंखों की रोशनी चली गई तो दूसरी बेटियों में भी किसी न किसी तरह से यह बीमारी चल रही है। डॉ. प्रेम का कहना है कि दरअसल एटीपी 7बी जीन में खराबी से यह बीमारी होती है। अलग-अलग लक्षणों के साथ बीमारी आती है। घरवालों का इलाज किया जाएगा तो बीमारी आगे पीढ़ी में नहीं जाएगी ऐसा मरीज के परिजनों को समझाया गया है।