मूल रूप से जालौन के रहने वाले आदर्श ने २०१५-१६ में कानपुर देहात के प्रेमा कटियार शिक्षण संस्थान महाविद्यालय के एमएड में प्रवेश लिया था। आदर्श का कहना है कि उसे प्रैक्टिकल में जानबूझकर फेल किया गया। उसे १२ नंबर मिले थे। बाद में उसने बैकपेपर में १७ अंक पाकर परीक्षा पास कर ली, लेकिन उसकी मार्कशीट में सुधार नहीं किया गया है। वह फेल वाली मार्कशीट लेकर ही भटक रहा है।
परीक्षा पास करने के बावजूद जब उसका अंकपत्र नहीं बदला गया तो उसने कुलपति से लेकर परीक्षा नियंत्रक और बाबू से भी अपनी बात बताई पर किसी ने उसकी सुनवाई नहीं की। मार्कशीट सही न होने के कारण उसे एमएड द्वितीय वर्ष में प्रवेश भी नहीं मिला।
आदर्श का कहना है कि जब उसे विश्वविद्यालय से न्याय नहीं मिला तो उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हजारों रुपए खर्च कर उसने इलाहाबाद कोर्ट में गुहार लगाई तो कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को आदेश देकर उचित फैसला लेने को कहा, पर विश्वविद्यालय पर इस आदेश का कोई असर नहीं पड़ा।
यह भी बताया जाता है कि आदर्श से कम नंबर पाने वालों को पास कर दिया गया। आदर्श ने ऐसे दर्जन भर उदाहरण विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक, डिप्टी रजिस्ट्रार के सामने रखे। जिसे देख अधिकारी हैरान रह गए। ऐसा क्यों हुआ और कैसे हुआ इसका किसी के पास जवाब नहीं था। विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी इस मामले में जांच और कार्रवाई का बहाना बना रहे हैं। हालांकि कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता मामला संज्ञान में लेकर कार्रवाई की बात कह रही हैं।