scriptपास होने के बावजूद फेल की मार्कशीट लेकर भटक रहा एमएड का छात्र | Passing a Fail Marksheet wandering student | Patrika News

पास होने के बावजूद फेल की मार्कशीट लेकर भटक रहा एमएड का छात्र

locationकानपुरPublished: Apr 24, 2019 03:42:59 pm

मार्कशीट में सुधार न किए जाने से नहीं मिल पाया अगली कक्षा में प्रवेश, इलाहाबाद कोर्ट का आदेश भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने रद्दी में डाला

csjmu kanpur

पास होने के बावजूद फेल की मार्कशीट लेकर भटक रहा एमएड का छात्र

कानपुर। लगता है कि जैसे विश्वविद्यालय की इस छात्र से कोई दुश्मनी हो। ऐसा लगने के कारण भी हैं। जिस छात्र को परीक्षा में फेल किया गया, उसने बैकपेपर में परीक्षा पास कर ली, लेकिन इसके बावजूद उसके अंकपत्र में बदलाव नहीं किया गया और वह फेल वाली मार्कशीट लेकर भटक रहा है। यहां तक कि कोर्ट का आदेश भी छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय ने नहीं माना और छात्र लगातार विश्वविद्यालय के चक्कर लगा रहा है।
जालौन का रहने वाला है एमएड का छात्र
मूल रूप से जालौन के रहने वाले आदर्श ने २०१५-१६ में कानपुर देहात के प्रेमा कटियार शिक्षण संस्थान महाविद्यालय के एमएड में प्रवेश लिया था। आदर्श का कहना है कि उसे प्रैक्टिकल में जानबूझकर फेल किया गया। उसे १२ नंबर मिले थे। बाद में उसने बैकपेपर में १७ अंक पाकर परीक्षा पास कर ली, लेकिन उसकी मार्कशीट में सुधार नहीं किया गया है। वह फेल वाली मार्कशीट लेकर ही भटक रहा है।
किसी ने नहीं की सुनवाई
परीक्षा पास करने के बावजूद जब उसका अंकपत्र नहीं बदला गया तो उसने कुलपति से लेकर परीक्षा नियंत्रक और बाबू से भी अपनी बात बताई पर किसी ने उसकी सुनवाई नहीं की। मार्कशीट सही न होने के कारण उसे एमएड द्वितीय वर्ष में प्रवेश भी नहीं मिला।
कोर्ट का आदेश भी नहीं माना
आदर्श का कहना है कि जब उसे विश्वविद्यालय से न्याय नहीं मिला तो उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हजारों रुपए खर्च कर उसने इलाहाबाद कोर्ट में गुहार लगाई तो कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को आदेश देकर उचित फैसला लेने को कहा, पर विश्वविद्यालय पर इस आदेश का कोई असर नहीं पड़ा।
कम नंबर वाले हुए पास
यह भी बताया जाता है कि आदर्श से कम नंबर पाने वालों को पास कर दिया गया। आदर्श ने ऐसे दर्जन भर उदाहरण विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक, डिप्टी रजिस्ट्रार के सामने रखे। जिसे देख अधिकारी हैरान रह गए। ऐसा क्यों हुआ और कैसे हुआ इसका किसी के पास जवाब नहीं था। विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी इस मामले में जांच और कार्रवाई का बहाना बना रहे हैं। हालांकि कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता मामला संज्ञान में लेकर कार्रवाई की बात कह रही हैं।
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