इस बार बाजार में मूर्तियों को बेचने वालों से लेकर खरीदने वाले तक जागरूक नजर आए. मूर्ति के हर थोक व्यापारी से बात करने पर पता चला कि यहां सिर्फ मिट्टी से ही बनी मूर्तियों की बिक्री होती है. इसके पीछे कारण है कि क्योंकि ये मूर्तियां पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाती हैं. कलक्टरगंज गल्ला मंडी में एक सप्ताह की यह बाजार 70 साल से लगती चली आ रही है. हर साल यहां 200 से अधिक कुम्हार अपने हाथ की बनाई मूर्तियों को बेचने आते हैं.
आप भी थोक बाजार में इन मुर्तियों के दाम सुनकर चौंक जाएंगे. प्राप्त जानकारी के अनुसार मूर्ति व्यापारी थोक में मूर्तियां 100 रुपए में 6 जोड़े से लेकर 3000 रुपए में 6 जोड़े तक में बेचते हैं. यानी एक जोड़ी मूर्ति करीब 16 रुपए से लेकर करीब 500 रुपए तक में उपलब्ध थी.
इस बारे में मिट्टी का काम करने वाले कुम्हारों का कहना है कि दिवाली के करीब एक सप्ताह पहले से वे थोक बाजार लगाते हैं. शहर के अलावा कई जिलों से दुकानदार उनसे मूर्तियां खरीद ले जाते हैं. यहां सिर्फ मिट्टी से बनी मूर्तियां ही बेची जा रही हैं. ये मिट्टी शुद्ध भी होती है, पवित्र भी और इको फ्रेंडली भी.