अब नहीं होंगे नदारद
सत्ता में आने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायतें मिल रही थीं कि परिषदीय स्कूलों के टीचर समय से नहीं आते। साथ ही माह में कई-कई दिन गायब रहते हैं। जिसके कारण बच्चों को ठीक तरह से शिक्षा नहीं मिल पाती है। इसके अलावा टीचर व रसोईया एमडीएम सहित अन्य योजनाओं में बच्चों की फर्जी संख्या दिखाकर बड़े पैमाने पर धन का गोलमाल करते हैं। इसी के बाद सरकार ने इस पर लगाम कसने के लिए रणनीति बनाई। जिसके तहत अब जिले में मोबाइल एप आधारित हाजिरी प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। विभाग ने एक एप तैयार करवाया है। अब शिक्षकों को हाजिरी सहित अन्य सूचनाएं भी इसी एप के जरिये भेजनी होगी।
अप्रेल में शुरू हो जाएगी व्यवस्था
सरकार शिक्षा के प्रति गंभीर है और बीआरसी व एनपीआरसी जाने का हवाला देकर गायब रहने वाले टीचरों पर नजर रखने का फैसला किया है। शिक्षा विभाग अप्रेल से शुरू होने वाले नए सत्र से इस एप व्यवस्था को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। जबकि अभी तक शिक्षक मोबाइल मैसेज के जरिये जानकारी देते थे। इसके कंट्रोल रूम ब्लाक स्तर पर बने थे। बावजूद इसके शिक्षकों ने इस व्यवस्था का तोड़ निकालकर पूरी व्यवस्था को चौपट कर दिया था लेकिन अब मोबाइल एप के द्वारा शिक्षक पर नजर रखी जा सकेगी। इससे शिक्षण व्यवस्था दुरुस्त रहेगी।
करनी होगी वीडियो रिकार्डिंग
बीएसए ने बताया कि मोबाइल के जरिए टीचरों को जहां अपनी और छात्रों की हाजिरी हॉनलाइन भरने के साथ ही एमडीएम सहित अन्य योजनाओं की वीडियो रिकार्डिंग कर भेजनी होगी। जिससे बच्चों को मेनू के हिसाब से मिलने वाले भोजन की सटीक जानकारी मिल सकेगी। बीएसए ने बताया कि कई स्कुलों में दोपहर के भोजन की गुणवत्ता के अलावा टीचरों के गायब रहने की शिकायतें मिलती थीं। इसी के बाद सरकार ने ये कदम उठाया है। जिसकी शुरूआत अप्रेल से हो जाएगी।
ऐसे करेगा काम
यदि स्कूल समय पर हाजिरी नहीं भरते हैं तो इंटरकनेक्ट वेबसाइट स्कूल की साइट पर हाजिरी के कॉलम पर रेड अलर्ट देगी। इसकी मानीटरिंग जिला कार्यालय और निदेशालय में होगी। स्कूल मुखिया को विभाग वेबसाइट चलाने के आईडी और पासवर्ड देगा, जिससे मोबाइल फोन से ही स्कूल मुखिया जरूरी निर्देशों की जानकारी लेने के साथ हर कक्षा के छात्रों की हाजिरी भरेंगे। शिक्षकों की हाजिरी भी ऑनलाइन दर्ज होगी। यदि स्कूल मुखिया समय पर हाजिरी नहीं भरते हैं तो जिला के शिक्षा उपनिदेशक, निदेशक और स्वयं शिक्षा मंत्री को रेड अलर्ट की जानकारी स्वतः ही मिल जाएगी।
पैसे की होगी बचत
प्रदेश में वर्तमान में सरकारी क्षेत्र में 10722 प्राइमरी, 2120 मिडिल, 925 हाई और 1838 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल चल रहे हैं। निजी क्षेत्र में 1040 हाई स्कूल और 539 सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं। इन स्कूलों में पत्राचार का हर माह का खर्च औसतन एक हजार रुपये है। एक वर्ष का यह खर्च 18 से 20 करोड़ रुपये है। जबकि, वेबसाइट से एक सरकारी स्कूल को इंटरकनेक्ट करने का खर्च महज 1500 और निजी स्कूल को इंटरकनेक्ट करने का खर्च 2500 रुपये है। इससे साल भर का खर्च महज ढाई करोड़ रुपये के करीब होगा।