कानपुर डायबिटिक एसोसिएशन के चौथे वार्षिक सम्मेलन में धनबाद के प्रसिद्ध डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. एनके सिंह ने बताया कि शुगर का स्तर बढऩे से रोगियों को दूसरी बीमारियों से नुकसान का खतरा अधिक रहता है, जिससे बचाव करना चुनौती बन गया है। हालांकि अब ऐसी कॉम्बिनेशन वाली दवाएं आ रही हैं जो डायबिटीज की वजह से दिल, गुर्दे और आंखों को सुरक्षित रखने में सफल हैं।
मरीजों में शुगर होने के 10-15 साल बाद कोई दूसरी बीमारी सामने आती है तो कुछ में एक-दो साल के भीतर ही कोई दिक्कत घेर लेती है। इसे देखते हुए जीन मैपिंग का सहारा लेना पड़ा। इसके तहत शुगर से भविष्य में होने वाली बीमारियों पर ध्यान केंद्रित किया। जीन मैपिंग की जांच काफी महंगी है। हालांकि कुछ समय में यह जांच आम लोग भी करा सकते हैं। जीन मैपिंग के हिसाब से कुछ दवाएं बाजार में आ भी रही हैं, जो मरीजों को इस आधार पर दी जा रही हैं कि कौन सी दवा किस पर कैसे कारगर होगी।
जमशेदपुर के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनिल बिरमानी ने कहा कि जेनेटिक मेडिसिन आने वाले समय में इलाज के लिए बेहतर होगी। डॉ. अमित गुप्ता ने मेटफॉर्मिन दवा के इस्तेमाल पर रिसर्च प्रस्तुत किया। इंदौर ने आए डॉ. प्रदीप गुप्ता ने हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए ईसीजी, खून में एन्जाइम्स की मात्रा आदि जांचें कराने की सलाह दी। डॉ. अनिल बिरमानी ने बताया कि जिम जाने वाले युवाओं को वजन कम करने के लिए स्टेरायड दिया जा रहा है, जो कि काफी घातक हो सकता है। इससे डायबिटीज का खतरा है।