scriptकंगाली में आटा गीला कर रहे हैलट के जिम्मेदार | Millions of budgets spent in helicopters without necessity | Patrika News

कंगाली में आटा गीला कर रहे हैलट के जिम्मेदार

locationकानपुरPublished: Jul 11, 2019 12:59:54 pm

जहां जरूरत नहीं वहां पर खर्च कर रहे बजट, मरीज दवाओं को भी तरस रहेकैंची-चाकू के लिए पैसे की किल्लत, बेकार में खरीद लिए २० लाख के स्टेपलर

haillet in kanpur

कंगाली में आटा गीला कर रहे हैलट के जिम्मेदार

कानपुर। बजट और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैलट अस्पताल में बजट खर्च करने में मनमानी की जा रही है। एक ओर 20-25 रुपए का टांका लगाने वाला फ्रेम, चाकू और कैंची खरीदने तक के लिए पैसे की किल्लत है और दूसरी ओर मोटापे की सर्जरी के नाम पर लाखों की रकम एक झटके में खर्च कर दी गई। सर्जरी विभगा ने गैस्ट्रोसर्जरी में इस्तेमाल होने वाला स्टेपलर 20 लाख रुपये में मंगाया है। इस बारे में पता चलने पर अस्पताल प्रशासन ने विभागाध्यक्षों को को सिर्फ जरूरी सामानों की खरीदारी करने को कहा है। हैलट में शासन से 25 करोड़ रुपए का सालाना बजट मांगा गया है। जिसमें 12 करोड़ रुपए केलव दवाओं और रसायनों पर खर्च किया जाना है। हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या ने बताया कि सभी विभागाध्यक्षों से कहा गया है कि जो सामान और दवाएं अधिक उपयोग में आ रही हैं उन्हें मंगाया जाना चाहिए। कम आवश्यकता वाली चीजों पर खर्च न किया जाए।
जरूरी उपकरण और सर्जिकल सामान की कमी
हैलट की दशा इन दिनों बेहद खराब है। यहां दो वार्डों के बीच एक ड्रेसिंग ट्रॉली है। इसमें उपयोग आने वाले छोटे-छोटे उपकरण जो डिस्पोजल होते हैं उनकी गम्भीर किल्लत है। जबकि 100-120 मरीजों के छोटे-बड़े ऑपरेशन रोज होते हैं। इस संबंध में एक जूनियर डॉक्टर का कहना है कि एक बार ड्रेसिंग के बाद एक उपकरण खराब हो जाता है। 50 से 60 मरीज एक वार्ड में होते हैं। उपकरणों के इतने सेट नहीं हैं। दस्ताने, विसंक्रमित कॉटन तो मंगवा लिए जाते हैं पर उपकरण मरीजों से नहीं मंगवाए जा सकते हैं। कभी-कभी समय से उपकरण विसंक्रमित होकर भी नहीं आते हैं, ऐसे में केस पेंडिंग हो जाते हैं।
10 रुपए का पिन भी खरीदता है मरीज
ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग में 10 रुपए का पिन भी मरीज को बाहर से खरीदना पड़ता है। इम्प्लांट के लिए अस्पताल में खरीदारी की कोई व्यवस्था नहीं है। मरीजों को पूरा ऑपरेशन अपने खर्च पर कराना पड़ता है। विभाग की ओर से 30 लाख रुपए सालाना इंप्लांट की खरीदारी के लिए डिमांड भेजी गई है मगर अभी तक उस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। हैलट में हर साल 12 लाख मरीजों की ओपीडी होती है और 175 मरीज यहां पर हर रोज भर्ती होते हैं।
पूरी दवाएं व जांचों की सुविधा नहीं
अस्पताल में भर्ती मरीजों को पूरी दवाएं तक नहीं मिल पाती हैं। दवाओं के बजट से अधिकतर खरीदारी ओपीडी में मरीजों के लिए हो रही है। इनडोर में भर्ती होने वाले मरीजों को 70 फीसदी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ती हैं। यहां तक कि एक सर्जरी में ऑपरेशन के समय मरीजों को पांच से सात हजार रुपए की दवाएं बाहर से लानी पड़ती है। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि 350 दवाओं की आरसी है मगर उनमें 70 से 75 दवाएं ही खरीद पा रहे हैं।

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