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गूगल में मंथन कर निकाला था मौत का सामान, कोबारा से खतरनाक जहर का किया इस्तेमाल

locationकानपुरPublished: Sep 12, 2018 06:32:28 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

हर हाल में मरना चाहते थे आईपीएस सुरेंद्र दास, इसी लिए खाया 25 ग्राम सल्फास

ips surendra das used to do lethal poison from cobra in kanpur

गूगल में मंथन कर निकाला था मौत का सामान, कोबारा से खतरनाक जहर का किया इस्तेमाल

कानपुर। आईपीएस सूरेंद्र दास ने कोबरा से भी ज्यादा खतरनाक जहर का इस्तेमाल किया था। सल्फास खाने के बाद महज पांच से छह फीसदी ही लोगों को इलाज के बाद बचाया जा सकता है। वह भी जब समय से इलाज मिल जाए। आईपीएस ने जिस जहर को खाया था वो कोबारा के अलावा अन्य विषैलें सापों से भी जहरीला था। इसी के चलते शनिवार को पहले किड़नी और लीवर को डमैज किया और रविवार को हार्ट और दिमाग को अपनी चपेट में ले लिया और एक होनहार अधिकारी की सांसें थम गई।

सुकून से मरना चाहते थे आईपीएस
एसपी पूर्वी आईपीएस सुरेंद्र कुमार दास पारिवारिक कलह से इतना ऊब गए थे कि हर हाल में जीवन समाप्त करने का फैसला कर लिया था। वे गूगल पर हफ्ते भर से आत्महत्या के तरीकों को सर्च किया था। ज्यादा दर्द न हो और किसी को पता नहीं चले इसलिए अंत में जहर खाकर जान देने का निर्णय लिया। इन बातों का उनके सरकारी आवास में मिले सुसाइड नोट से हुआ है। अंग्रेजी में उन्होंने लिखा है कि एक हफ्ते से वह आत्महत्या का आसान तरीका गूगल पर सर्च कर रहे थे। कई तरीकों के बारे में गूगल पर पढ़ा और वीडियो देखा। नस काटकर जान देने का तरीका काफी दर्द भरा था। इसलिए जहर खाकर जान देने का फैसला किया। सुरेंद्र दास ने 25 ग्राम सल्फास खाया था। फोरेंसिक टीम को उनके कमरे से सल्फास पाउडर के तीन खाली पाउच मिले हैं। दो 10-10 ग्राम के और एक पांच ग्राम का है। यह मात्रा बहुत है।

दिल-गुर्दा काम करना कर देता है बंद
हैलट के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर विकास गुप्ता कहते हैं कि सल्फास खाने वाले व्यक्ति को बचाया जा सकता है। बशर्ते यह देखना है कि उसने कितनी जहर खाया है? जहर डिब्बाबंद य खुला था क्या? उसे प्राथमिक इलाज कितनी देर से मिला? प्राथमिक इलाज का तौर तरीका कैसा था? यह सभी चीजें जान बचाने में सहायक होती हैं। सल्फास खाए मरीज को आधे घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाना चाहिए। उसे उल्टी कराने में लोग चूक कर जाते हैं। मरीज को पानी ज्यादा पिलाते हैं और उल्टी कराते है, जिसके कारण जहर तेजी के साथ शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। ऐसे में एक घंटे के अंदर मरीज का दिल और गुर्दा खराब हो सकता है।

उनका बच पाना नामुकिन था
डॉक्टर विकास गुप्ता बताते हैं कि आईपीएस सुरेंद्र दास के मामले में जानकारी मिली है उसके मुताबिक उन्होंने सल्फास अधिक मात्रा में खाई थी। ऐसे मरीजों को बचाना मुमकिन ही नहीं नामुकिन होता है। बताते हैं, ऐसे मरीजों को पेटैशियम परमैग्नेट से उल्टी कराई जाती है। साथ ही नाक के जरिए नली डालकर उसकी आंत साफ की जाती है। पानी से रिएक्शन करके यह फाक्जीन गैस बना लेती है। यी गैस दिल की मायोकार्डियल दीवार को क्षतिग्रस्त कर देती है। गुर्दे के नेफान भी खराब हो जाते हैं और मरीज को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ जाती है। डॉक्टर गुप्ता की मानें तो आईपीएस सुरेंद्र दास कसे संभवता पहले दि नही वेंटीलेटर पर रखा गया होगा।

10 कोबारा के डंसने से ज्यादा जहर खाया था
कोबारा सांप के डंसने से इंसान को बचा पाना नामुकिन होता है। भारत में इस सांप के कांटपे से हर साल सैकड़ों लोग की मौत हो जाती है। डॉक्टर विकास गुप्ता बताते हैं कि कोबरा के डंसने के बाद महज दस फीसदी ही मरीजों के बचने की उम्मीद होती है। वो भी जब उसे समय से इलाज मिल जाए। आईपीएस सुरेंद्र दास ने लगभग 25 ग्राम सल्फास खाया, जो एक नहीं दस कोबरा के जहर के बराबर था। वहीं मामले पर रीजेंसी के डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सल्फास के असर से एसपी सुरेंद्र दास के सबसे पहले किडनी फिर लिवर फेल हुए थे। इसकी वजह से उनकी लगातार डायलिसिस की जाती रही। इसके बाद इसका दुष्प्रभाव उनके हार्ट पर पड़ा। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था, लेकिन हालत बिगड़ती गई और बाई तरफ पैर में खून की सप्लाई बंद हो गई। इसे खोलने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी लेकिन स्थिति और खराब होती चली गई।

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