भले ही मौसम में बदलाव आने पर स्वाइन फ्लू का वायरस खत्म होने का दावा किया जाए, लेकिन इसके बावजूद बुखार आने पर खुद दवा लेना खतरनाक हो सकता है। दरअसल स्वाइन फ्लू के वायरस ने बदलते मौसम के हिसाब से अपने स्वरूप में भी बदलाव कर लिया है। इसलिए कहा नहीं जा सकता कि वायरस पूरी तरह खत्म हो गया है। कमजोर होने पर भी यह वायरस खतरनाक है।
इस बार स्वाइन फ्लू अकेले नहीं बल्कि सेप्टीसीमिया नामक वायरस के साथ लोगों पर हमला कर रहा है। यह नया वायरस जल्द पकड़ में नहीं आता और इलाज स्वाइन फ्लू का चलता रहता है। स्वाइन फ्लू सही होने के बावजूद सेप्टीसीमिया का असर रहता है और जिसमें मरीज की जान पर खतरा बना रहता है।
आमतौर पर स्वाइन फ्लू का असर जुलाई से सितम्बर के बीच देखने को मिलता था, पर बदलते मौसम के हिसाब से अब स्वाइन फ्लू ने जनवरी से मार्च के बीच भी संक्रमण फैलाना शुरू कर दिया है। यह वायरस संक्रमित मरीज के आसपास रहने पर आठ घंटे में दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। पहले यह ***** से इंसानों में फैलता था पर अब यह इंसान से इंसान में फैलने लगा है।
जिला महामारी वैज्ञानिक डॉ. देवसिंह का कहना है कि स्वाइन फ्लू के मरीजों की केस हिस्ट्री बताती है कि बुखार आने पर खुद किया गया इलाज स्वाइन फ्लू के असर को और बढ़ाता है। इसलिए बिना जांच और डॉक्टरी सलाह के दवा न लें।