24 घंटे मिलेगी जानकारी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, डिजाइन इंजीनियरिंग, इंवायरमेंटल साइंस, सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने मिलकर किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए आगे आया है। यहां के वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक वेदर (मौसम) मॉनिटरिंग स्टेशन और क्लाउड (बादल) मॉनिटरिंग स्टेशन बना रहा है, जिसके जरिए किसानों को भीषण गर्मी, सर्दी, बारिश, ओले, तेज आंधी के बारे में पहल ही जानकारी मिल जाएगी और वो अपनी फसलों को बचा सकेंगे। किसानों के मोबाइल पर 24 घंटे में चार- पांच बार कॉल आएगी। यह कंप्यूटर द्वारा ऑटोमैटिक रहेगा। सूचनाएं हिंदी या क्षेत्रीय भाषा में प्रसारित की जाएंगी। अगर स्मार्टफोन है तो उन्हें एप के माध्यम से हर मिनट की जानकारी मिलेगी।
सीएम योगी अदित्यनाथ ने की थी पहल
कुछ दिन पहले यूपी के सीएमयोगी आदित्यनाथ और आइआइटी के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर के बीच मौसम संबंधी जानकारी को लेकर चर्चा हुई थी, जिसमें ऐसी तकनीक विकसित करने की बात हुई, जो किसानों के लिए सुलभ हो। खेती-किसानी के बीच उसका आसान से प्रयोग किया जा सके। उसके बाद संस्थान के विशेषज्ञों ने प्लानिंग शुरू कर दी। प्रोफेसर अभय करंदीकर ने बताया कि रक्षा गलियारा, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, कृषि समेत कई क्षेत्रों में आइआइटी कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार ने मौसम की जानकारी किसानों तक पहुंचाने की तकनीक विकसित करने के लिए कहा है। संस्थान इस दिशा में कार्य कर रहा है। अभी इस तकनीक का ट्रायल अंतिम चरण में है और उम्मीद है कि इसी साल किसानों को घर बैठे मौसम की जानकारी मिलनी लगेगी।
मैसेज भी करेगा जारी
आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने बताया कि डिजिटल मॉनिटरिंग स्टेशन बनने के बाद इसमें हर मिनट के डाटा रिकार्ड होंगे। यह अपने आप मौसम की जानकारी मोबाइल पर कॉल के रूप में जारी करेगा। कई बार मैसेज भी जारी होंगे। अगर अलर्ट की स्थिति आती है तो उसकी कॉल भी आएगी। संस्थान जल्द ही इस सिस्टम को सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के जिलों में इसे लगाएगा। निदेशक ने बताया कि मोबाइल एप में किसानों को बेहतर खेती-बाड़ी के तरीकों की भी जानकारी दी जाएगी। इसके लिए आईआईटी सीएसए के कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेगा और उनके बताए तरीके को एप से जोड़ेगा।