scriptहैलट में बंद हुआ लिवर, किडनी और कैंसर का मुफ्त इलाज | Hallet stopped treatment due to non-budget | Patrika News

हैलट में बंद हुआ लिवर, किडनी और कैंसर का मुफ्त इलाज

locationकानपुरPublished: Jul 19, 2019 12:48:29 pm

बजट न मिलने से मरीजों के लिए खड़ा हो गया संकटअस्पताल के अधिकारियों ने मजबूरी में रोक दिया इलाज

haillet in kanpur

हैलट में बंद हुआ लिवर, किडनी और कैंसर का मुफ्त इलाज

कानपुर। गरीबों के लिए हैलट अस्पताल में होने वाला गंभीर रोगों का इलाज बंद हो गया है। अब लिवर, किडनी की बीमारी और कैंसर से जूझ रहे मरीजों का मुफ्त इलाज हैलट में बंद हो गया है। शासन की ओर से बजट न मिलने की वजह से मरीजों को अब अपनी जेब से पैसा खर्च करना पड़ रहा है। जिससे मरीजों के लिए नई मुश्किल खड़ी हो गई है।
शासन ने बजट देने से किया इंकार
लिवर, किडनी और कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से पीडि़त लगभग 600 मरीजों पर संकट खड़ा हो गया। हैलट अस्पताल में असाध्य रोगों का इलाज फिलहाल बंद कर दिया गया है। इन मरीजों को इस योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही थी। हैलट को इस वर्ष इस योजना में बजट नहीं मिलने से यह स्थिति पैदा हुई। शासन के अधिकारियों ने बजट देने से साफ मना कर दिया।
बढ़ती जा रही मरीजों की संख्या
अस्पताल में बीते चार वर्षों से इलाज की यह सुविधा गरीब मरीजों खासतौर बीपीएल और अन्त्योदयकार्ड धारकों को मिल रही थी। इसके लिए पूर्व में 50-50 लाख रुपए दो बार और 25 लाख रुपए एक बार अस्पताल में इलाज के लिए शासन ने आवंटित किए थे। इसी कड़ी में इलाज के लिए मरीजों का पंजीकरण चल रहा था। अस्पताल में किडनी रोग, गैस्ट्रो और कैंसर के मरीजों की संख्या भी बढ़ गई। हिपेटाइटिस- बी और सी वायरस से पीडि़त मरीजों की संख्या काफी है।
उधार पर दवा लेकर हो रहा था इलाज
लिवर में गांठ और दूसरी मामूली सर्जरी मसलन शंट डालने जैसी सर्जरी की सुविधा उपलब्ध हो गई थी जिससे मरीजों को खासा लाभ मिल रहा था। लेकिन इस बार नए वित्तीय वर्ष में बजट जारी नहीं हुआ। अधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शासन को अवगत कराया कि 600 मरीज इलाज में चल रहे हैं उनकी दवाएं बंद हो गई है। उधार पर दवाएं लेकर मरीजों को दी जा रही थीं लगभग 22 लाख रुपए की उधार की दवाएं इस वर्ष ली गई हैं। प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या का कहना है कि असाध्य रोगों के इलाज की श्रेणी में बजट मांगा गया था मगर उस पर शासन स्तर से सकारात्मक निर्देष नहीं मिले ऐसे में मजबूरी है कि मरीजों का इलाज फिलहाल रोक दिया जाए।
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