इंडसइंड बैंक सिविल लाइंस शाखा की कैश होल्डिंग लिमिट 25 लाख रुपए है. इसके खिलाफ होल्डिंग लिमिट 4.5 करोड़ की जा रही थी. ये सिलसिला लगातार दो महीने से यूंही चल रहा था. जिस शाखा की जितनी कैश होल्डिंग लिमिट होती है, उतनी रकम का बीमा होता है. यानी इंडसइंड बैंक में जमा केवल 25 लाख रुपए का बीमा था और उसके ऊपर के लगभग 4.25 करोड़ रुपए पूरी तरह से भगवान भरोसे थे. बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के मुताबिक शाखा में उसकी होल्डिंग लिमिट से ऊपर आने वाले कैश को उसी दिन शाम छह बजे तक हर हाल में करेंसी चेस्ट भेजना होता है. चेस्ट में रकम पहुंचने के बाद न केवल उसका बीमा कवर होता है, बल्कि आरबीआई 6 फीसदी का ब्याज भी देता है.
बैंक के कुछ स्टाफ ने मैनेजर से कहा भी कि 25 लाख रुपए से ऊपर की रकम को करेंसी चेस्ट भेजिए, लेकिन सभी नियमों को दरकिनार कर दिया गया. करीब दो महीने से ये खेल ऐसे ही चल रहा था. 25 लाख रुपए से ऊपर की पूरी रकम बाजार में ब्याज पर उठाई जा रही थी. चार फीसदी रोज की दर पर उठाई जाने वाली इस रकम से 16 लाख रुपए रोज की कमाई हो रही थी. पहले पैसा वापस पाने के लिए प्रबंधन अंदर ही अंदर प्रयास करता रहा. जब रकम वापस नहीं मिली तब एफआईआर कराई गई. नियम के अनुसार 25 लाख रुपए से ऊपर के फ्रॉड की सूचना रिजर्व बैंक को देनी चाहिए, लेकिन मामले को लंबे समय तक दबाए रखा गया.