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टिहरी डैम, रामगंगा डैम और हरिद्वार से की जाएगी गंगा में पानी की आपूर्ति

locationकानपुरPublished: Nov 07, 2018 01:53:31 pm

देश के साथ ही पूरी विश्व की निगाहें प्रयागराज(इलाहाबाद) में पावन संगम के तट पर होने वाले अर्द्धकुंभ की ओर टिकी हुई हैं. इसे भव्य और यादगार बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है. वहीं सबसे बड़ी चिंता का विषय कुंभ के दौरान गंगा में अविरल प्रवाह को लेकर है.

Kanpur

टिहरी डैम, रामगंगा डैम और हरिद्वार से की जाएगी गंगा में पानी की आपूर्ति

कानपुर। देश के साथ ही पूरी विश्व की निगाहें प्रयागराज(इलाहाबाद) में पावन संगम के तट पर होने वाले अर्द्धकुंभ की ओर टिकी हुई हैं. इसे भव्य और यादगार बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है. वहीं सबसे बड़ी चिंता का विषय कुंभ के दौरान गंगा में अविरल प्रवाह को लेकर है. सवालों और शक को दूर करने के लिए गंगा में अविरल प्रवाह को विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है. इसके लिए 3 विकल्‍प तैयार किए गए हैं. गंगा में प्रवाह के लिए टिहरी झील, रामगंगा डैम और हरिद्वार से पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति की जाएगी. सरकार के निर्देशों के मुताबिक गंगा में रोजाना 7,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना है, ताकि प्रवाह बना रहे और गंगा में गंदगी की मात्रा अधिक न हो.
मांगी गई है रिपोर्ट
उ.प्र. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप मिश्रा ने बताया कि हाईकोर्ट और एनजीटी समिति के निर्देश पर शासन और पॉल्यूशन बोर्ड ने गंगा बैराज से प्रतिदिन छोड़े जाने वाले पानी की रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट के मुताबिक बारिश के दिनों में 1.25 लाख क्यूसेक तक पानी छोड़ा गया, जबकि इन दिनों 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक औसतन 25 हजार से 20 हजार क्यूसेक तक पानी छोड़ा जा रहा है. रोजाना इसकी रिपोर्ट गंगा बैराज की ओर से पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में भेजी जा रही है.
ताकि न हो पानी की कमी
कुंभ के दौरान गंगा में पानी की कमी को पूरा करने के लिए अभी से ट्रायल शुरू कर दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक हाल ही में टिहरी डैम से 50,000 क्यूसेक पानी को छोड़ा गया था, जिससे यह पता चल सके कि पानी की कमी को पूरा करने के लिए कितने दिन का वक्त चाहिए होगा. वहीं कुंभ से पहले गंगा बैराज में भी 70,000 क्यूसेक तक पानी स्टोर करना होगा, जिससे इलाहाबाद में 3 महीने स्नान के दौरान पानी की कमी न हो और गंगा बैराज से रोजाना 7,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता रहे.
युद्ध स्‍तर पर किए जा रहे हैं कार्य
कुंभ के दौरान गंगा अविरल के साथ-साथ निर्मल रहे, इसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं. शहर में 13 बड़े नाले हैं, जो गंगा को प्रदूषित कर रहे थे. इसमें परमट नाला, टैफ्को नाला, जेल नाला और रानीघाट नाला को टैप करने का कार्य पूरा कर लिया है. वहीं कैंट और सीसामऊ के 3-3 नाले अब भी गंगा में गिर रहे हैं. कुंभ से पहले इन्हें बायो रैमिडेशन टेक्निक से टैप करने का कार्य किया जाएगा. फिलहाल सीसामऊ नाला, म्योर मिल, नवाबगंज और डबका नाले को टैप करने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है.

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