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बेटे के साथ हुई ऐसी घटना, फिर एक माँ बन गयी देवकी तो दूसरी यशोदा, जानकर रो पडेंगे आप

locationकानपुरPublished: Oct 31, 2018 10:23:16 am

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

सर्पदंश से मौत के बाद शैलेंद्र को अब दो मां का आंचल मिला है। वहीं एक ने देवकी की तरह जन्म दिया और दूसरी ने यशोदा की तरह पालन पोषण किया, बडी भावुक घटना है।

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बेटे के साथ हुई ऐसी घटना, फिर एक माँ बन गयी देवकी तो दूसरी यशोदा, जानकर रो पडेंगे आप

कानपुर देहात-देवकी बनकर जन्म देने वाली जननी मां गीता का बेटा शैलेन्द्र 6 वर्ष बाद वापस घर तो आ गया लेकिन उसे पूर्व जन्म का अब कुछ याद भी नही है। वह सिर्फ मां गीता और पिता विनोद सहित परिवारीजनों को तो पहचान रहा है लेकिन उस समय की जुड़ी घर की यादें वो पूरी तरह भूल चुका है। यहां तक कि यहां रहकर कक्षा-2 में पढ़ने वाले शैलेन्द्र को अब ककहरा तक याद नही है। बातों ही बातों में वो किसी सुध में खो जाता है। कुछ भी हो लेकिन वह अब दोनों मां गीता एवं सोनाश्री को याद करता है। जहां वह पुनर्जन्म के बाद पलकर बड़ा हुआ, जिस बेऔलाद मां ने उसे पाला, उसे वह कैसे भुला सकता है। अब वह कृष्ण की तरह यशोदा व देवकी की तरह दोनों माँ का प्यार एक साथ चाहता है, जो बड़ी कठिन डगर है।
फिलहाल कुछ भी हो, उसकी मृत्यु के बाद गंगा में प्रवाह कर देने के बाद उस बेटे के छै वर्ष बाद लौटने पर मां गीता के लिए उस दिन से प्रत्येक दिन दीवाली है। वह उसके ही इर्द गिर्द घूम रही है कि शायद मेरे शीलू को मेरा बचपन का प्यार याद आ जाये कि माँ कैसे खिलाती थी और लोरी सुनाकर सुलाती थी। खैर गीता की खुशी का ठिकाना नही है। बात हो रही कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र के लुधौरा गांव की, जहां जन्मा शीलू का सर्पदंश से मौत के बाद जल प्रवाह कर दिया गया था। वहीं तंत्र मंत्र से जीवित होने के बाद वह कन्नौज के बिनोरा रामपुर में सपेरों के एक परिवार ने उसका अपने बेटे की तरह 7 साल तक पालन पोषण किया। आज वह परिजनों की मसक्कत के बाद वापस अपने पैतृक घर आ गया है, लेकिन देखा जाए तो यशोदा की तरह पालन पोषण करने वाली उस मां सोनाश्री पर क्या बीत रही होगी, ये सिर्फ वह मां ही जान सकती है।
हालांकि इधर शीलू के बाद मां गीता ने अपनी बेटियों की खुशी के लिए अपनी ननद संतोष निवासी बऊअन की मड़ैया मंगलपुर के बेटे मुनेंद्र को गोद ले लिया था। हालात अब ये गयी कि पालन पोषण करने वाली एक मां सोनाश्री की गोद पहले की तरह फिर खाली हो गयी और इधर गोद उजड़ने का दंश झेल रही मां गीता को उसका बेटा जीवित मिलने से उसकी गोद फिर भर गई। ईश्वर की इस लीला को न तो ये दोनों परिवार समझ पा रहे है और न ही दोनों जनपद के लोगों की समझ मे आ रहा है। फिलहाल दोनों परिवारों में अपार खुशियां आंगन को रोशन कर रही हैं।

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