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प्रधानमंत्री मोदी का ये अभियान कैसे होगा सफल, जब इस गांव के 80 प्रतिशत लोग जाते हैं खुले में शौंच, जानिये क्यों

locationकानपुरPublished: Sep 20, 2018 01:13:57 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता अभियान को लेकर सजग हैं, वहीं जिले के इस गांव में आज भी 80 प्रतिशत लोग खुले में शौंच जाने को मजबूर हैं।

pm modi

प्रधानमंत्री मोदी का ये अभियान कैसे होगा सफल, जब इस गांव के 80 प्रतिशत लोग जाते हैं खुले में शौंच, जानिये क्यों

कानपुर देहात-सरकार गरीब आवाम को लाभान्वित करने के लिए तमाम योजनाए चला रही है, जिसमें स्वच्छता अभियान के तहत शौंचालय अहम है लेकिन भ्रष्ट तंत्र के आगे ये सभी योजनाएं गरीब जनता तक पहुंचते पहुंचते दम तोड़ देती हैं। कुछ ऐसे ही हालात कानपुर देहात के मराहना गांव के हैं, जहां गांव की 80 प्रतिशत आबादी आज भी खुले में शौंच जाने को मजबूर है। जिसका पूरा सिरोधार्य गांव के प्रधान व सचिव को जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के पात्र गरीबों को प्रधान ने आवास व शौंचालयों से वंचित कर रखा है, जिसके चलते गुजर बसर कर रहे ग्रामीण खुले में शौंच जाते हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई निष्कर्ष नही निकला है। जब प्रधान से शौंचालय की मांग की तो उन्होंने रिश्वत की मांग तक कर डाली। यहां तक कि प्रधान जाति भेदभाव कर विकास कार्य भी करा रहा है। गांव की सड़कें खस्ताहाल हैं और गांव कूड़े के ढेर में नजर आता है। ये कहना गलत नही होगा कि प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वच्छ भारत मिशन को गाँव के भ्रष्ट प्रधान ने पलीता लगाने का काम किया है।
गांव में कभी भी हो सकता बड़ा हादसा

अपने जर्जर मकान में रह रही महिलाओं, बुजुर्ग और बेबस ग्रामीण आज भी सरकार से न्याय और विकास की आस लगाए बैठे हैं। महिलाएं अपने और अपने बच्चो के सिर छुपाने के लिए महफूज जगह मांगती हैं। इन हालातों में कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के मरहना गांव में लोग गुजर बसर कर रहे हैं, जहां भ्रष्ट प्रधान लवकुश कठेरिया और सचिव देवीप्रसाद ने गाँव की ऐसी तस्वीर बना दी, जिसे देख आप दंग रह जाएंगे। दरअसल ग्रामीणों का आरोप है कि भ्रष्ट प्रधान लवकुश और सचिव ने अपात्रो को सरकारी आवास आवंटित कर दिये हैं और जो पात्र हैं, उन्हे सरकारी आवास नहीं दिये गए हैं। हालात ये हैं कि गाँव के तमाम मुफलिस गरीब परिवार ऐसे मकान मे रह रहे हैं जो कभी भी गिर सकते है और बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन प्रधान ने इन ग्रामीणों की एक न सुनी और आवास के लिए बीस हज़ार रुपयों की मांग कर डाली।
शौंचालय व आवास के बदले करते हैं रुपयों की मांग

वहीं शौंचालय को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि गांव के बुजुर्ग, महिलायें व बच्चे सभी को खुले मे शौंच जाना पड़ रहा है। इस गाव के करीब 80 प्रतिशत लोग आज भी खुले मे शौंच जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणो का आरोप है की प्रधान भेदभाव कर शौचालय आवंटन करने मे लगे हैं और हम लोगों से शौचालय के लिए दो हज़ार रुपए मांगते हैं। हम लोग गरीब हैं इतने रुपए कहां से लाये। गांव वालो ने आरोप लगाया कि सड़क, नाली व खड़ंजा का कार्य कागजों मे दिखाकर रुपया निकाल लिया गया है और ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव व पंचायत मित्र ने अधिकारियों के साथ मिलकर विकास के लिए आए रुपयों का बंदरबाँट कर लिया है। कई बार जिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों से शपथपत्र के साथ शिकायत की गई। इसके बाद आईजीआरएस व मुख्यमंत्री सभी से शिकायत की गई लेकिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।
बोले जिलाधिकारी

इस संदर्भ मे जब ज़िले के जिला अधिकारी से बात की तो उन्होंने शौचालय पर वेश लाइन सर्वे की बात कहकर अपना बचाव किया और कहा कि आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। इस गांव में 80 प्रतिशत लोग अगर बाहर शौंच के लिए जा रहे हैं तो ये आश्चर्य का विषय है। यहां संबन्धित अधिकारियों की टीम भेजकर मामले की जांच कराई जाएगी। सचिव व प्रधान अगर दोषी पाए जाएंगे तो निश्चित उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
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