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कलियुग में श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह देख लोगों की आंखे छलक आई, ऐसा परोपकार कि लोग चर्चा करते नहीं थक रहे

locationकानपुरPublished: Nov 20, 2018 03:09:11 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

कलियुग में श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह शायद किसी ने देखा होगा, लेकिन यहाँ कुछ ऐसा ही इस समिति ने कर दिखाया है, जिसकी चर्चा करते लोग नहीं थक रहे।

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कलियुग में श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह देख लोगों की आंखे छलक आई, ऐसा परोपकार कि लोग चर्चा करते नहीं थक रहे

अरविंद वर्मा

कानपुर देहात-द्वापर युग मे श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह हम लोग ग्रंथों में अक्सर पढ़ा करते हैं लेकिन कलियुग में भी इस विवाह की परंपरा कई वर्षों से अपनाई जा रही है। कानपुर देहात का एक ऐसा नगर झींझक, जहां श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह के रूप में गरीब कन्याओं का विवाह निशुल्क सम्पन्न कराया जाता है। बताते चलें कि झींझक नगर में भोले शुक्ल द्वारा सनातन धर्म प्रचार समिति का गठन कर श्रीमद भागवत कथा का आयोजन शुरू कराया गया था। करीब 22 वर्षों से हो रहे इस आयोजन में करीब 7 वर्षों से भागवत के अंतिम दिवस गरीब कन्याओं का विवाह सम्पन्न कराया जाता है, इसमें वर व वधू पक्ष की शादी का सारा खर्च समिति वहां करती है। इसमें नगर के कई लोग सहयोग प्रदान करते हैं। शादी के दिन लोग अपनी इच्छा अनुसार कन्याओं को दान दहेज के रूप में जेवरात व गृहस्थी का सामान भी उपहार में देकर उन्हें विदा करते हैं।
8 गरीब कन्याओं का हुआ विवाह

इस बार भी यहां 8 गरीब कन्याओं का विवाह संपन्न कराया गया है। इसमें खमहैला रोड झींझक की प्रीती गुप्ता का विवाह सुमित निवासी गजान कानपुर देहात के साथ हुआ, रीना निवासी द्वारिकागंज झींझक का विवाह चंद्रपाल निवासी रघुनाथपुर कन्नौज के साथ हुआ, रेनू निवासी बैरी कानपुर नगर का विवाह अजय निवासी सुभाष नगर झींझक के साथ हुआ, मानसी निवासी शंकरगंज झींझक का विवाह रवीकिशन निवासी ककोर औरैया के साथ हुआ, प्रीती निवासी पचकुरा बांदा का विवाह संदीप निवासी जसापुर के साथ हुआ, राधिका निवासी भटेलिनपुरवा का विवाह रामबली निवासी गढीमहेरा झींझक के साथ हुआ, करिश्मा निवासी नेहरू नगर झींझक का विवाह अजय निवासी दिबियापुर औरैया के साथ हुआ, रंजना निवासी आंबेडकर नगर झींझक का विवाह बंसी निवादा निवासी धीरज के साथ हुआ।
भोले शुक्ल ने श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह में बताया कि

इस बीच यज्ञाचार्य पंडित रवि देव के द्वारा मंत्रोच्चार कर हिन्दू रीति रिवाज से विवाह संपन्न कराए गए। भोले शुक्ल का कहना है कि इस विवाह में वर को श्रीकृष्ण व कन्या को रुकमणी के रूप में माना जाता है, क्योंकि यहां पहले गरीब कन्याओं को चिन्हित किया जाता है, इसके बाद उनके लिए वर का आवाह्न किया जाता है। ऐसे विवाह को श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह कहा जाता है। फिर विधि विधान से बारात का आगमन होता है और उनकी भोजन व्यवस्था कर विवाह कराया जाता है। जयमाल के उपरान्त वर वधू पक्ष सहित तमाम लोगों ने जोड़ो को आशीर्वाद दिया। इस कार्यक्रम में समिति केे पदाधिकारियों मनोज राठौर, टोनी श्रीवास्तव, संजय, छुंन्ना सविता ने भरपूर सहयोग दिया।
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