शहर में कहीं पर भी ई-रिक्शा का कोई स्टैंड नहीं है। ऑटो-टेम्पो स्टैंड पर बारी-बारी से सबका नंबर लगता है और उसी हिसाब से ऑटो-टेम्पो चालक नंबर आने पर सवारियां बिठाते हैं। इनका रूट भी तय है पर ई-रिक्शा का कोई स्टैंड नहीं है। ये मनमाने तरीके से किसी भी रूट पर सवारियां बिठा लेते हैं। जिस कारण ऑटो-टेम्पो चालकों से इनका अक्सर झगड़ा भी होता रहता है।
संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) बैठक में ई-रिक्शा की अराजकता पर अंकुश लगाने के लिए इनका रूट और संख्या तय की जा सकती है, जिससे ये मनमाने तरीके से किसी भी रूट पर अतिक्रमण नहीं कर सकेंगे। नए परमिट जारी करने पर रोक लगी तो ई-रिक्शा की संख्या सीमित रह जाएगी और धीरे-धीरे ये कम होते जाएंगे।
जिले के ग्रामीण रूटों पर बसों की संख्या बढ़ाने के लिए कुछ बसों के परमिट भी जारी हो सकते हैं। शहर से जुड़े कई ग्रामीण रूटों पर यातायात के साधानों की कमी है। इन पर अभी केवल थ्री व्हीलर टैम्पो या ई-रिक्शा के जरिए ही लोग आते-जाते हैं। कुछ रूटों पर बसें हैं मगर एक-दो बसें ही चलने से सवारियों को इंतजार करना पड़ता है। बैठक में ग्रामीण रूटों पर बसों के परमिट जारी हो सकते हैं।
परिवहन अफसरों ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में चलने वाले ऑटो, टेंपो महानगर की सीमा में भी आ जाते हैं। इससे सुबह-शाम सीमा के चौराहों जैसे रावतपुर, रामादेवी, नौबस्ता में जाम लगता है, इसलिए इन वाहनों के रंग बदलने पर भी फैसला हो सकता है। ग्रामीण और शहरी इलाकों के ऑटो-टेम्पो के रंग अलग-अलग होंगे।