1988 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आया था दुर्गा नाई, वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस के हत्थे नहीं लगा अपराधी
कानपुर। जब कोई बच्चा रोता तो उसकी अम्मा कहती, बबुआ चुप हो जा नही तो गब्बर उर्फ दुर्गा नाई आ जाएगा और तेरे साथ मुझे भी गोली मार देगा। इतना खौफ था शहर में इस गब्बर का। वह जिधर से निकल जाता लोग घरों में दुबक जाते। मर्डर, लूट, डकैती और पुलिस मुठभेड़ सहित अनगिनत मामले कानपुर के गब्बर के खिलाफ कई थानों में दर्ज थे। अयाराम-गयाराम की दुनिया का पहला अपराधी दुर्गा नाई था, जो कानपुर में सुपारी लेकर लोगों का मर्डर करता था। आरोपी ने 1985 में जुही निवासी नसीम की दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसी के बाद इसके पीछे खाकी पड़ गई और घाटमपुर से दुर्गा नाई को पुलिस ने धरदबोचा था। आरोपी ने हाईकोर्ट से जमानत करा फिर से अपराध की दुनिया में कदम बड़ा दिए और पुलिस को चकमा देता रहा। तीस साल बाद डकैत गोपी नाई गैंग के शातिर सदस्य दुर्गा नाई को एसएसपी अखिलेश कुमार की टीम ने गिरफ्तार कर लिया। वह किदवई नगर में हत्या व डकैती के मामले में वांछित था और इस पर 25 हजार का इनाम था।
इन लोगों को उतार चुका है मौत के घाट25 हजार का इनामी सीताराम मोहाल निवासी दुर्गा नाई उर्फ गब्बर सिंह फिल्मी स्टाइल में पिछले तीस साल से उरई में किराए के मकान में नाम और हुलिया बदलकर रह रहा था। गब्बर के खिलाफ तीन दर्जन से ज्यादा मुकदमे थे। आरोपी ने 1981 में जूही में अरविंद तिवारी की हत्या कर सनसनी फैला दी। पुलिस ने अरेस्ट करने का प्रयास किया पर सफल नहीं हुई। इसी दौरान दुर्गा नाई ने जनवरी 1985 में सी ब्लाक किदवईनगर के नरेश
नाथ मेहरोत्रा का मर्डर करने के साथ ही इसी दिन जूही बारादेवी निवासी शंकर दयाल त्रिवेदी पर ताबतोड़ गोली चला दी। शंकर दयाल के हाथ और पैर में गोली लग गई और किसी तरह से उनकी जान बची। दुर्गा नाई सुपारी लेकर मर्डर करने लगा और फरवरी 1985 में जूही लाल कालोनी के नसीम की हत्या कर दी। नसी के मर्डर के बाद पुलिस ने इस पर पांच हजार का इनाम घोषित किया और दो माह के बाद घाटमपुर से दुर्गा नाई को गिरफ्तार कर लिया।
उरई से किया गया गिरफ्तारएसएसपी अखिलेश कुमार ने बताया कि दुर्गा नाई उरई के सुशील नगर में मलखान सिंह के मकान में श्यामबाबू सविता के नाम से रह रहा था। वहां उसने खुद को स्टोव, गैस चूल्हा और कुकर बनाने वाले के रूप स्थापित किया और परिवार को भी रख लिया। जूही में 1985 में हुई नसीम की हत्या में आरोपित दुर्गा ने हाईकोर्ट से जमानत ले रखी थी, लेकिन कोर्ट में पेश नहीं हो रहा था। उस पर रासुका की भी कार्रवाई हुई थी। हाईकोर्ट के संज्ञान में लेने पर पुलिस ने इसकी तलाश शुरू की। रिश्तेदारों व दोस्तों पर नजर रखी गई तब उसका उरई से लिंक पता चला। इसके बाद किदवईनगर इंस्पेक्टर अनुराग मिश्र और पनकी एसओ शेषनारायण पांडेय की टीम को लगाया गया। इन लोगों ने
रेकी कर इसका पूरा ब्यौरा जुटाने के बाद मुखबिर की मदद से नौबस्ता बाइपास के पास से उसे गिरफ्तार किया।
मरने की फैला दी अफवाहएसएसपी ने बताया कि आरोपी पुलिस से बचने के लिए चेहरा और मोहरा बदल लिया। पहले इसके सिर पर बड़े-बड़े बाल थे और चेहरे में ूमंदे नहीं रखता था। पुलिस पता न पा सके, इसके चलते दुर्गा मोबाइल फोन तो छोड़िए, परिजनों तक से संपर्क में नहीं था। परिचितों की मदद से खुद के मरने की अफवाह फैला दी, ताकि कोई उसे खोजने की कोशिश न करे। एसएसपी ने बताया कि दुर्गा नाई के शातिरपन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसकी जमानत लेने वालों से लेकर पैरवी करने वालों तक का पुलिस को कोई अता-पता नहीं मिले इसके लिए सारे सबूत मिटा दिए। पुलिस इस केस से जुड़ी फाइल तक कोर्ट में खोज नहीं पाई। पुलिस के पास इसकी ब्लैक एंड व्हाइट एक फोटो ही थी, जिसके सहारे वह अपराधी को दचोचने के लिए लगी थी। एसएसपी ने बताया कि दुर्गा कानपुर स्थित नौबस्ता किसी अपने खास मित्र से मिलने के लिए आया था। वह मित्र का इंतजार कर रहा था, तभी पुलिस पहुंच गई। पुलिस को देख आरोपी पान की दुकान के पीछे छिप गया, लेकिन दरोगा ने इसी दौरान उसे धरदबोचा।