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कानपुर

आखिर क्यों खतरे से गुजर रही ये झील, आज यहां हो रहे बड़े कारनामे, जानिए क्या है सच्चाई

बताया गया कि 1100 बीघा में फैली इटैली झील आज संकट से घिरी हुई है।

कानपुरJun 26, 2019 / 03:25 pm

Arvind Kumar Verma

the lake

आखिर क्यों खतरे से गुजर रही ये झील, यहां होते हैं बड़े कारनामे, जानिए क्या है सच्चाई

अरविंद वर्मा

कानपुर देहात-जनपद की सबसे बड़ी झील कही जाने वाली इटैली झील, जो सैकड़ों बीघा में फैली आकर्षण का केंद्र बनी है। एक समय वो था, जब झील अपनी अनोखी प्राकृतिक छटा को प्रदर्षित करती थी। उस दौरान इस झील के प्राकृतिक सौंदर्य के चलते देश विदेश के पशु पक्षी यहां आकर पानी में कलरव किया करते थे। जिन पक्षियों को देखने के लिए लोग पक्षी विहार जाया करते हैं, वो विदेशी सुंदर पक्षी झील की शरण मे आकर चहकते थे, लेकिन बदलते परिवेश में आज उस झील का अस्तित्व ही खत्म हो रहा है। आज सन्नाटे से गुजर रही झील पर सिर्फ कब्जेदारों की नजर बनी हुई है। इसकी वजह स्थानीय प्रधान व लेखपाल हैं, जिनकी वजह से आज यह झील अपने आपको सिमटे अस्तित्व को लिए अधिकारियों की बाट जोह रही है।
1100 बीघा में फैली इटैली झील का खेल

इस गंभीर समस्या को लेकर स्थानीय लोगों के द्वारा कई बार इसको बचाने के लिए अधिकारियों को अवगत कराया गया। जिसके बाद इसकी देखरेख व रख रखाव के लिए लाखों रुपये का अनुदान भी दिया गया, लेकिन स्थितियों में कोई बदलाव नही हुआ। हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं। बताया गया कि 1100 बीघा में फैली इटैली झील आज संकट से घिरी हुई है। आज चंद पैसों के लिए लोग इस झील में हजारों कुंतल मछलियों को चुपचाप तरीके से बेंच डालते हैं। बता दें कि इटैली झील कई ग्राम पंचायतों की जमीनों को स्पर्श करती हुई वृहद रूप लिए हुए है। यहां से जाकर यह औनहाँ झील में जाकर मिलती है। आज इसका अस्तित्व खतरे में बना हुआ है।
सिंघाड़े के ठेकेदार ने बताई कुछ ऐसी दास्तां

दरअसल दबंगों के द्वारा उस पर कब्जा करके कहीं तालाब तो कहीं खेती किसानी आदि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे प्रति वर्ष लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है। स्थानीय अजय सिंह ने बताया कि इस झील पर आस पास गांव के दबंग मछली पालन और सिंघाड़े की फसल करते हैं, इसके लिए बिना किसी अनुमति के झील की जगह में तालाब खुदवाकर बाहरी लोगों को सिंघाड़े का ठेका देते हैं। वहीं मछली पालन से रुपये कमाते हैं। जब सिंघाड़े की फसल के लिए झील में काम कर रहे उन्नाव निवासी विष्णुदयाल से पूंछा तो उसका कहना है कि मुझे झील से कोई मतलब नही। मैं व्यापारी हूँ, मुझे यहीं के लोगों ने 3000 रुपये प्रति बीघा के हिसाब से ठेका दिया है। मैं 5 बीघा में सिंघाड़ा करूंगा। फिलहाल झील पर धीरे धीरे दबंगो का व्यापार पनपने लगा है, इससे स्पष्ट है कि एक दिन झील तालाबों में तब्दील होकर व्यापार का केंद्र बन जायेगा।
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