दो साल पहले घटना को दिया था अंजाम
कल्याणपुर के ईडब्ल्यूएस आवास विकास निवासी सीमा वर्मा ने 26 मार्च 2016 की दोपहर 3.30 बजे अपने दस वर्षीय बेटे सूर्यांश और आठ वर्षीय बेटे अंश को छत से नीचे फेंक दिया था। दोनों को बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने अंश को मृत घोषित कर दिया था। सूर्यांश को गंभीर चोटें आई थीं। घटना की रिपोर्ट सीमा के देवर रितेश ने नौबस्ता थाने में दर्ज कराई थी। दो साल से मामले की सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान महिला ने जमानत की अर्जी लगाई पर कोर्ट ने खारिज की दी, जिससे वो जेल में निरूद है। जिरह के के दौरान चश्मदीद गवाह देवर रितेश और पड़ोसी सुशील ने बयान में सीमा द्वारा बच्चों को फेंकने की बात कही थी।
पर बेटे के चलते हुई सजा
अन्य लोगों की गवाही के बाद आरोपी महिला के बेटे को अदालत ने बुलाया। सूर्यांश ने जज को बताया कि वह अपने भाई अंश के साथ सड़क पर खेल रहा था। मां ने खाना खाने के लिए बुलाया और धूप में चलने की बात कहकर छत पर ले गई। छत की टीन पर हम दोनों को बिठा दिया और बोली कि आगे बढ़ो टीन टूटेगी नहीं। इसके बाद अंश को फेंक दिया और मुझे धक्का दे दिया। अंश सीधे रोड पर गिरा, जिससे उसकी मौत हो गई। मैं तारों में उलझते हुए बाइक पर गिरा इसलिए बच गया। सहायक जिला एवं शासकीय अधिवक्ता सरला गुप्ता ने बताया कि चश्मदीद गवाहों और घायल बेटे की गवाही पर न्यायालय ने महिला को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाते हुए सजा सुनाई।
महिला के दावों बौने साबित
महिला की तरफ से उसके वकील ने कोर्ट में कई सबूत रखे, लेकिन बेटे की गवाही के आगे वो सारे बौने साबित हुए। वकील ने यहां तक कोर्ट को बताया कि घटना के वक्त महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। उस दौरान पुलिस ने महिला का मेडिकल चेकअप कराया था, जिसमें वो पूरी तरह से स्वस्थ थी। आरोपी महिला के देवर ने कहा कि जिस तरह से भाभी ने जघन्य घटना को अंजाम दिया, इसके तहत तो उसे फांसी होनी चाहिए। पर कोर्ट ने उसे दस साल की सजा दी है जो ठीक है। दो सालों के दौरान मैंने भतीजे की परवरिस की तो कोर्ट के चक्कर काटे। भतीजे को बचाने के लिए मैंने अपना घर तक गिरवीं रख दिया था।