बल्कि दोगुनी ताकत से जुटें
मोतीझील स्थित लाजपतभवन के सभागार में भाजयुमो की पहली प्रदेश कार्यसमिति बैठक का का आगाज सोमवार की सुबह नौ बजे हो गया। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, यूपी संगठन मंत्री सुनील बंसल सहिज प्रदेश के 400 भाजयुमो के जिलासंयोजक, सहसंयोजक व जिले के पदाधिकारी मौजूद थे। इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केवल नारों से नहीं बल्कि ठोस कार्य करके दिखाना होगा। उन्होने कहा कि 2019 के चुनाव तक 18 वर्ष आयु को प्राप्त होने वालों की नयी जमात तैयार होगी। इन्हें मतदाता सूची में शामिल करने का काम करना होगा और उन्हें बताना होगा कि युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिये भाजपा सरकार कितने काम कर रही है। सीएम ने कहा कि युवाओं की राष्टवादी विचारधारा ने ही 2014 में केन्द्र में मोदी सरकार बनने की नींच रखी थी। इसे कमजोर नहीं होने देना, बल्कि दोगुनी ताकत के साथ फिर से कमल खिलाना है।
टीमों का करें गठन
सीएम ने भाजयुमो के पदाधिकारियों से कहा कि क यूपी के 1.60 लाख बूथों पर 20-21 युवाओं की टीम को गठित करें। गांव-गांव जाएं और सरकारी योजनाओं के बारे में ग्रामीणों से पूछे। जिन्हें लाभ नहीं मिला हो उन्हें तत्काल लाभ दिलवाएं। सरकारी बाबू अगर इस कार्य में लापरवाही बरते तो उसकी शिकायत सीधे मुझसे करें। उसे वहां से हटाकर उसके घर रवाना कर दिया जाएगा। सीएम ने कहा कि अब नारेबाजी और भाषणवाजी की वक्त खत्म हो गया है। सबको फिर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाए जाने के लिए जुटना होगा। सीएम ने कहा कि हम यूपी की 80 में 80 सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य लेकर चलें। इस मौके पर सीएम ने विरोधी दलों के किसी नेता पर कुछ नहीं बोला। हां इशारों-इशारों में पहली की सरकारों के कार्यो को कार्यकर्ताओं के समक्ष रखा।
शिक्षक-सिपाही की चल रही भंर्तियां
केंद्र की विभिन्न येजनाओं में यूपी की प्रगति रिपोर्ट रखते हुए उन्होनें कहा कि वर्तमान में सिपाही पद पर 42 हजार भर्तियों की परीक्षा होने वाली है। इसके बाद 50 हजार नई भर्तियों की प्रक्रिया होगी। 68,500 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के लिए भी नोटिफिकेशन जारी किया गया है। स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से 1.61 लाख युवाओं में विभिन्न इंटरप्राइजेज में रोजगार दिया गया है। वहीं, अकादमिक संस्थानों में खराब होते माहौल पर भी उन्होंने चिंता जाहिर की। उन्होंने किसी विश्वविद्यालय का नाम न लेते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण की सोच न होने की वजह से अकादमिक संस्थानों में अराजकता का तांडव देखने को मिल रहा है। इन संस्थानों में भटके हुए युवा अपनी राष्ट्रीयता और जड़ों को पहचानने का प्रयास नहीं कर रहा है।