बाजार में बिकने वाला सेब पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। सेब पर मोम की परत चढ़ाकर बेचा जा रहा है। ज्यादातर लोग इससे अनजान है और सेब के साथ मोम को भी खा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मोम खाना सेहत के लिए नुकसानदेह है। विशेषज्ञों ने बताया कि लंबे समय तक मोम लगे फल खाने से किडनी में संक्रमण और नसों के कमजोर होने की संभावना रहती है। इसके अलावा इसे खाने से बच्चों में डायरिया का खतरा बढ़ जाता है।
सवाल उठता है कि इतना खतरनाक और सेहत के लिए हानिकारक होने पर भी सेब पर वैक्स कोटिंग क्यों होने दी जा रही है? इसके जवाब में एफएसडीए के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने इसकी अनुमति दे रखी है। दरअसल, वैक्स कोटिंग के बाद सेब जल्दी खराब नहीं होता है। पहले विदेश में निर्यात के लिए सेब पर यह परत चढ़ाई जा रही थी, लेकिन अब कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से देश के अन्य राज्यों में भी वैक्स कोटिंग वाला सेब ही भेजा जा रहा है। दूसरा, कोटिंग के लिए मोम भी घटिया क्वालिटी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
बाजार से खरीदकर लाने के बाद सेब को चाकू से धीरे-धीरे खुरचिए। आपको मोम की परत उतरती नजर आएगी। आप मोम को एकत्र करेंगे तो यह काफी हो जाएगा। सेब जितना ज्यादा चमकदार होगा, उस पर मोम की परत उतनी ही ज्यादा मोटी होगी। इससे बचने के लिए सेब को गर्म पानी में डालिए। मोम पिघल जाएगा। इसके बाद सेब को फिर से धो लीजिए और कपड़े से पौंछ लीजिए। सबसे बेहतर यह रहेगा कि आप सेब का छिलका उतारकर खाएं तो मोम उसके साथ अलग हो जाएगा।
देश भर के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए जो विभाग काम कर रहा है उसके मंत्री रामविलास पासवान को खुद एक फल वाले ने मोम वाला सेब बेच दिया। खाने-पीने के सामान पर केमिकल लगाने का जिक्र आया तो पासवान ने कहा, कभी-कभी मैं खुद सलाद बना लिया करता हूं। एक दिन पहले ही मैं सलाद बना रहा था. मैंने सेब धोया तो डाउट हुआ। उसको खुरचा तो उसमें से मोम निकलने लगा। वो भी सेब खान मार्केट से आया था. जिस पर बाकायदा स्टीकर लगा था। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज लो उसे अच्छी तरह से धो लो। चमकीला हो तो और धोईए, चमकीली दाल लीजिए बाजार से और धोईए। देखिए उसमें से रंग और झाग निकलेगा, इसलिए कोई भी चीज अच्छी तरह से धोईए।