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बछेंद्री पाल और उनकी टीम ने पत्थर घाट से शुरू किया गंगा सफाई अभियान

locationकानपुरPublished: Oct 16, 2018 01:38:29 pm

प्रदूषित हो चुकी गंगा को साफ करने के लिए भारत की प्रथम महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल ने बिठूर के पत्थर घाट पर जमकर सफाई की. इस मौके पर उनके साथ 40 सदस्यों की टीम भी मौजूद रही. इस बारे में बछेंद्री पाल ने बताया कि गंगा में सफाई के दौरान कपड़ा और पूजा सामग्री भारी मात्रा में मिल रही है.

Kanpur

बछेंद्री पाल और उनकी टीम ने पत्थर घाट से शुरू किया गंगा सफाई अभियान

कानपुर। प्रदूषित हो चुकी गंगा को साफ करने के लिए भारत की प्रथम महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल ने बिठूर के पत्थर घाट पर जमकर सफाई की. इस मौके पर उनके साथ 40 सदस्यों की टीम भी मौजूद रही. इस बारे में बछेंद्री पाल ने बताया कि गंगा में सफाई के दौरान कपड़ा और पूजा सामग्री भारी मात्रा में मिल रही है. लोगों की ऐसी आस्था देखकर दुख होता है. इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा कि कन्नौज से गंगा का स्वरूप बेहद गंदा देखने को मिला. कानपुर में यह और भी गंदा हो चुका है. अब तक उनकी टीम की ओर से 15000 किलो कचरा गंगा से निकाला जा चुका है. घाट की सफाई के दौरान एक नाली से 4 टन कचरा निकाला गया. इसके साथ ही शहर में गंगा सफाई को लेकर कई जनजागरूकता कार्यक्रम में भी बछेंद्री पाल और उनकी टीम ने भाग लिया.
ऐसा बताया बछेंद्री पाल ने
बछेंद्री पाल ने ये भी बताया कि दिल्ली में मुलाकात के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गंगा सफाई के दौरान बच्चों को जरूर जागरूक किया जाए. उन्हें बताया जाए कि गंगा में गंदगी न तो करनी है और न ही किसी को करने देनी है. एनएमसीजी के विशेषज्ञ संदीप बोहरा ने बताया कि पूरा दल हरिद्वार से फर्रुखाबाद, कन्नौज होते हुए जल मार्ग के रास्ते ही कानपुर पहुंचा है. वहीं टीम के रूप में आए 40 सदस्य टाटा कंपनी के कर्मचारी हैं.
की ऐसी गुजारिश भी
सिर्फ यही नहीं, बछेंद्री पाल ने भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा से गंगा में गिर रहे छोटे-बड़ों नालों को स्थानीय प्रशासन से बात करके बंद कराने के लिए भी कहा. ताकि बड़े पैमाने तक गंगा को साफ़ किया जा सके. उसमें जाने वाली गंदगी को रोका जा सके.
मिला ऐसा सम्‍मान
रामगढ़ से दिल्ली तक साइकिल यात्रा पर निकले सिख रेजीमेंट के जवानों ने बिठूर में एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल और चेतना साहू को सम्मानित किया. इस क्रम में बछेंद्री पाल ने बताया कि वह बचपन में बहुत बड़ी-बड़ी बातें करती थीं. हवाई जहाज को उड़ते देखती थीं तो कहती थीं कि एक दिन मैं भी इसे उड़ाऊंगी. पुराने समय में लड़कियों की पढ़ाई को लेकर काफी पाबंदी थी. 8वीं के बाद मैंने पढ़ने के लिए काफी संघर्ष किया.
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