वह पेशे से चिकित्सक थे और आईएमए से भी जुड़े रहे. 1992 93 में डॉ. रजवी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कन्वीनर भी बनाए गए थे. उनके निधन पर तहारत मंच की चमनगंज में एक बैठक हुई, जिसमें डॉ. वसीम को खिराज ए अकीदत पेश की गई. इसमें संयोजक डॉ. मुस्तफा इस्लाम, तौहीदआलम बरकाती, मोहम्मद शारिक नक्शबंदी, नफीस नूरी रहे. इसके अलावा मोहम्मद सलीम, मोहम्मद शमीम, आलम, अशरफ समेत कई लोग मौजूद रहे.
डॉ. मोहम्मद वसीम रजवी बेहद मिलनसार और तार्किक स्वभाव के थे. वे बिना किसी ठोस सबूत के कोई बात न तो कहते थे और न ही किसी दूसरे की बात को बिना तथ्यों के आधार पर सुनते थे. स्थानीय लोगों से बातचीत के दौरान हर कोई डॉ. रजवी को याद करते हुए उनकी सादगी और जीवटता के बारे में बताने को आतुर दिखा. मुस्लिम समुदाय में काफी लोकप्रिय रहे डॉ. वसीम रजवी के इंतकाल से लोगों में मायूसी का माहौल रहा. मोहम्मद सलीम ने बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति मदद के लिए डॉ. रजवी के पास जाता था तो वो कभी भी खाली हाथ नहीं लौटा. डॉ. साहब ने हमेशा जरुरतमंद की मदद की और बेसहारा लोगों को सहारा दिया. इसके अलावा उन्होंने कई साल तक गरीब व असहाय लोगों को निशुल्क इलाज भी किया.