फतेहपुर के रहने वाले हैं आनंद देव
अनंत देव कानपुर से सटे जिले फतेहपुर के मूल निवासी हैं। साथ ही कानपुर से उनका गहरा नाता है। परिवार के कई सदस्य इसी शहर में रहते हैं। आनंद देव ने अपनी शिक्षा-दिखा फतेहपुर से पूरी करने के बाद सिविल सर्विस की तैयारी इलाहाबाद से की। अनंत देव 1986 बैच के पीपीएस अफसर हैं और प्रमोशन के बाद इन्हें आईपीएस बनाया गया। अनंत देव इससे पहले 1998 में कानपुर में तैनात रहे। लगभग एक साल तक कानपुर में तैनाती के दौरान आनंद देव स्वरूप नगर, कलेक्टरगंज समेत तीन सर्किलों की जिम्मेदारी निभाई। इस दौरान अनंत देव ने शहर से गई गिरोहों और अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधियों का इनकाउंटर किया। आनंद देव ने डी-39 गैंग की कमर तोड दी थी। दाउद इब्राहीम और अतीक गैंग के कई अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया।
पाठा की दी गई थी जिम्मेदारी
2007 विधानसभा चुनाव के बाद यूपी की बागडोर मायावती के हाथों में आई। मायावती ने पाठा और बीहड़ के डकैतों के खात्में का ऐलान कर दिया। तेज-तर्राक पुलिस अफसरों को इन जिलों की जिम्मेदारी दी गई। आनंद देव को चित्रकूट और बांदा के कुख्यात डकैत ददुआ के खात्में के लिए लगाया गया। तैनाती मिलते ही अनंत देव ने ददुआ के खात्में के लिए एसटीएफ के साथ जंगल में उतर गए। आदिवासी बाहूल्य इलाकों में लोगों से संपर्क बनाया और उन्हें भरोसे में ले लिया। बांदा के निवासी वकील संतोश श्रीवास्तव बताते हैं कि अनंत देव ने ददुआ के खात्में के लिए कई दिनों तक अकेले एक गांव में भेष बदकर रहे और ददुआ विरोधियों से सपंर्क बनाया। एक मुखबिर को इन्होंने साधा और इसी के बाद ददुआ को खत्म करने के लिए ऑपरेशन शुरू किया।
मरकुंडी के जंगलों में किया था ढेर
मायावती ने अनंत देव को एसटीएफ का एसपी बना ददुआ को मारने का आदेश दिए। अनंत देव तेज-तर्राक एसटीएफ के जवानों के साथ 2007 में मारकुंडी के जंगलो में उतर गए और मुठभेड़ में 5 लाख के इनामी तथा उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय बने कुख्यात डकैत ददुआ को मार गिराया। ददुआ पर 5 लाख का इनाम था तथा उस पर डकैती, हत्या और अपहरण के 200 से ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दर्ज थे। मुठभेड में ददुआ के साथ उसका दाहिना हाथ छोटा पटेल सहित 4 अन्य डकैत भी मारे गए थे। अपने गुरू ददुआ के मारे जाने के बाद उसके चेले ठोकिया ने बदला लेने की कसम खाई और एसटीएफ पर हमला कर दिया। उस दौरान 15 से ज्यादा एसटीएफ के जवान शहीद हुए थे।
ठोकिया के खात्में की खाई थी कसम
अपने जवानों की मौत के बाद अनंत देव ने डकैत ठोकिया को मार गिराने की कसम खाई थी। आनंद देव के साथ काम कर चुके एक इंस्पेक्टर ने बताया कि आनंद देव ने तीन दिन बिना खाए ठोकिया के खात्में के लिए ऑपरेशन चलाया। लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। तभी उन्होंने अपने मुखबिरों को लगाया और ठोकिया एक समारोह में भाग लेने के लिए आया और उसका काम वहीं पर कर दिया गया। ददुआ और ठोकिया ददुआ के एनकाउंटर के बाद इन्हें अपराधियों का यमराज तक कहा जाने लगा और बड़े-बड़े डकैत व अपराधियों में इनका खौफ भर गया। एनकाउंटर लिस्ट में 100 से ज्यादा बड़े अपराधियों को ढेर किये जाना उनके नाम पर है। इसके बाद से इनकी फेहरिस्त में कई नामी अपराधियों को एनकाउंटर कर मार गिराया गया।
राष्ट्रपति पदक विजेजा हैं आनंद देव
कानपुर का चार्ज संभालने से पूर्व मुजफ्फरनगर के साथ ही फैजाबाद, गोरखपुर, बुलंदशहर, प्रतापगढ़, आजमगढ़ व सिद्धार्थ नगर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की बागडोर अनंत देव संभाल चुके हैं। इन्हें वीरता के चलते राष्ट्रपति पदक से नवाजा जा चुका है। पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अगले एक-दो दिनों में वह कानपुर जनपद पहुंचकर जिले की कमान संभाल सकते हैं। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को जिले की कमान दिये जाने की जानकारी पर महकमे में अभी से चर्चा होने लगी है। माना जा रहा है कि उनके आते ही कानपुर में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों व अपराधियों पर अंकुश लगाने में कामयाबी मिलेगी। क्योंकि पिछले 15-16 माह के दौरान कानपुर में अपराध और अपराधियों का बोलबाला है। इसी से निपटने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने आनंद देव को यहां का एसएसपी बनाया है।