script24 साल जेल में रहने के बाद कन्हैया लाल बाइज्जत बरी | after spending 24 years in jail murder accused for lack of proof | Patrika News

24 साल जेल में रहने के बाद कन्हैया लाल बाइज्जत बरी

locationकानपुरPublished: Jul 05, 2019 01:59:02 am

Submitted by:

Vinod Nigam

पनकी पुलिस ने हत्या का आरोप लगाते हुए कन्हैया को किया था गिरफ्तार, जेल के अंदर रहकर लड़ा मुकदमा, कोर्ट ने बेकसूर बताते हुए रिहाई का दिया आदेश।

after spending 24 years in jail murder accused for lack of proof

24 साल जेल में रहने के बाद कन्हैया लाल बाइज्जत बरी

कानपुर। घर की आर्थिक स्थित खराब होने के चलते 25 साल पहले हरदोई जिले के तेंदुआ गांव निवासी राकेश उर्फ कन्हैया (50) कानपुर आ गया। यहां रोजगार पाने के लिए हाथ-पांव चलाए पर नौकरी नहीं मिली। इसी के चलते वो रिक्शा चलाने लगा। शाम के वक्त वो अपनी झोपड़ी में बैठे नमक रोटी खा रहा था और अचानक पुलिस आ गई और उसे गिरफ्तार कर थाने ले गई। जब उसने अपना कसूर पूछा तो थानेदार ने हत्या का आरोप लगा जेल भेज दिया। 24 साल तक सलाखों के पीछे रहते हुए कन्हैया कोर्ट में अपने को निर्दोष साबित करने के लिए लड़ता रहा। गुरूवार को फैसले का दिन आ गया और जज ने उसे बेकसूर बता रिहाई का आदेश दे दिया।

हत्या का लगाया था आरोप
अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने बताया कि राकेश उर्फ कन्हैया कानपुर के काकादेव मोहल्ले में एक झोपड़ी में रहता था और पेट पालने के लिए रिक्शा चलाता था। 12 मार्च 1995 को हरदोई के सैफुद्दीन निवासी सुरेश का शव पनकी थाना क्षेत्र में मिला था। सुरेश भी रिक्शा चलाता था और कानपुर में परमपुरवा में रहता था। पुलिस राकेश को आरोपी बनाते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था। करीब तीन माह बाद उसे जमानत मिल गयी और 37 माह पूर्व उसकी जमानत कट गयी। जिससे लगातार 37 माह से वह जेल में बंद था। इस दौरान एडीजे अष्टम सुंदरलाल की कोर्ट में केस की सुनवाई होती रही और आज गुरुवार को फैसला आ सका। जिसमें उसे बाइज्जत बरी किया गया।

चाची को पुलिस ने बनाया गवाह
अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने गवाह मृतक सुरेश की चाची कांती देवी को बनाया था, जिसमें कहा गया था कि कांती देवी ने देखा था कि राकेश सुरेश को लेकर गया था। कोर्ट में जब दो कैदियों के बीच राकेश की पहचान कराई गयी तो कांती देवी राकेश को पहचान नहीं सकी। जिसके चलते उसे रिहा करने के कोर्ट ने आदेश दे दिये। शासकीय अधिवक्ता दिनेश अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट से परवाना जा चुका है औरं राकेश जेल से रिहा हो सकेगा।

जवान से हो गया बुजुर्ग
जेल में 36 माह रहने के बाद कन्यैया जब बाहर आया तो उसके आंख में आंसू थे। उसने न्यायालय पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन पुलिस पर जरूर सवाल उठाए। कन्हैया ने बताया कि वो निर्दोष था, लेकिन थानेदार ने उसे जबरन झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेजा था। मैंने थानेदार के पैर पकड़े, बुजुर्ग माता-पिता की दुहाई दी, पर उसे तरस नहीं आया। अपने कंधे पर मेडल के चलते उसने मुझे आरोपी बना जेल भेज दिया। जब मैं जेल गया था तब जवान था, लेकिन बाहर आने के बाद बुजुर्ग हो गया हूं।

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