43 जिलों में हुआ राशन घोटाला
खाद्य आपूर्ति विभाग में लाखों रुपए का महा घोटाला सामने आने से योगी सरकार हरकत में आई और पूरे मामले की जांच का आदेश दिया। जांच के बाद पता चला है कि यूपी के 43 जिलों में करीब दो लाख से ज्यादा कार्डधाकरों का राशन सरकारी बाबुओं को मिलाकर राशन विक्रेता डकार गए हैं। खाद्य एवं रसद विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई माह में आधार कार्ड का दुरुपयोग कर ई-पॉश मशीनों से 187635 ट्रांजेक्शन हुए। यानि कि इतने राशन कार्डो का डाटा पहले एनआइसी सर्वर से हटाया गया। इसके बाद फर्जी आधार लगाकर राशन का आवंटन कराया और फिर से लाभार्थियों का नाम जोड़ दिए। प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर ये खेल किया गया। जिसकी जांच के लिए विभाग ने चार बिन्दुओं पर जांच के के साथ एक-एक दाना वसूलने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा जांच रिपोर्ट जिला पूर्ति अधिकारियों को पंद्रह दिन के अंदर आयुक्त खाद्य एवं रसद विभाग को भेजनी है।
40 लाख की लगी चपत
कानपुर के डीएम विजय विश्वास पंत ने मामले सामने आने के बाद इसकी जांच कराई तो 42 राशन विक्रेता घेरे में आए। जांच के बाद पता चला कि इन्होंने फर्जी आधार कार्ड के जरिए 40,65,250 रुपए की चपत सरकार को लगा चुके थे। अब इन घोटालेबाजों पर शिकंजा कसने के लिए विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं। जांच के दौरान दुरुपयोग किया गया राशन कार्ड पात्र का है अथवा अपात्र का के अलावा दुरुपयोग किए गए राशन कार्ड धारक एवं उससे संबद्ध यूनिट अथवा परिवार वास्तव में अस्तित्व में है या नहीं की सच्चाई बाहर लाई जाएगी। साथ ही दुरुपयोग किए गए राशन कार्ड के सापेक्ष किन आवश्यक वस्तुओं में कितनी का आहरण प्रदर्शित किया गया है इसको भी जांच के दायरे में रखा गया है। इसके अलावा यदि उक्त राशन कार्ड पर वास्तविक लाभार्थी को आवश्यक वस्तुएं प्राप्त हुई हैं तो उसका भी उल्लेख रिपोर्ट में हो इस पर आपूर्ति विभाग को जांच के निर्देश दिए गए हैं।
जांच के बाद खुला भेद
एनआईसी से घोटाले का पूरा परीक्षण कराया गया, जिसमें पाया गया कि वास्तविक लाभार्थी के डाटाबेस में फीड किए गए आधार संख्या को एडिट कर किसी दूसरे व्यक्ति के आधार संख्या को फीड कर दिया गया। इसके बाद दूसरे व्यक्ति के थंब इंप्रेशन के जरिए ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया को पूरा किया गया। फर्जीवाड़ा पूरा किए जाने के बाद दोबारा से लाभार्थी के आधार संख्या को अपडेट कर दिया गया। इस प्रक्रिया को 17 आधार कार्डो के जरिए 42 कोटेदारों द्वारा 9292 राशन कार्डो पर प्रयोग हुआ, जिसमें लगभग 1393.8 कुंतल गेहूं और 929.2 कुंतल चावल का घोटाला ई-पीओएस मशीन के जरिए किया गया। डीएम ने इसकी जांच कराई तो पूरा ’खेल’ खुल गया। इसके बाद 24 अगस्त को शासन से जिला आपूर्ति विभाग और डीएम को पूरी रिपोर्ट भेजी गई, जिसके बाद डीएम ने सभी 42 कोटेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी।
1500 राशन विक्रेता
कानपुर में करीब 1500 राशन विक्रेता हैं। प्रतिमाह की दर से 11,760 मीट्रिक टन गेहूं और चावल कोटेदार उपभोक्ताओं को वितरित करते हैं। पर 42 राशन विक्रेताओं के खिलाफ हुई कार्रवाई के चलते सभी हड़ताल पर चले गए हैं। राशन विक्रेताओं का आरोप है कि जिला आपूर्ति विभाग के अधिकारी धारा 3/7 की कार्रवाई का भय दिखाकर हमसे वसूली करते हैं। पैसे नहीं देने पर दुकान निलंबन के साथ जेल भेजने की धमकी देते हैं। हमारी सरकार से मांग है कि राशन की डोर स्टेप डिलीवरी की जाए। प्रति क्विंटल 200 रुपये का कमीशन दिया जाए। प्रत्येक दुकान में 800 राशन कार्ड अथवा 4000 यूनिट लगाने का मानक तय हो। यदि सरकार हमारी यह मांगे नहीं पूरी करती तो हम गोदामों से राशन की उठान नहीं करेंगे। वहीं जिलापूर्ति अधिकारी अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अनाज घोटाले की पूरी रिपोर्ट बनाई जा रही है। 17 आधार कार्ड की पूरी रिपोर्ट यूआइएडीआइ से अभी प्राप्त नहीं हुई है इसलिए उक्त आधार वैधानिक हैं अथवा अवैधानिक, बता नहीं सकते।