आचार्य उमेश दत्त शुक्ला बताते हैं कि किसी भी पर्व को विधि विधान से मनाने पर श्रेष्ठ फल मिलता है. रक्षा बंधन के दिन बहनें सुबह उठकर नए वस्त्र धारण कर राखी की थाली तैयार करें. थाल में राखी, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और मिठाई रखें. बहनें सबसे पहले भाई को तिलक कर उसकी आरती उतारें. उसके ऊपर अक्षत डालें और फिर भाई के दाहिनी कलाई पर राखी बांधें. अगर इस प्रक्रिया के होने तक भाई और बहन दोनों उपवास रखें तो श्रेष्ठ फल मिलता है .
पंडित आचार्य शिवम शास्त्री के अनुसार रक्षा सूत्र बांधते वक्त अगर बहन इस मंत्र का उच्चारण करें तो भाइयों की दीर्घ आयु होती है. मंत्र- ‘येन बद्धो बली राजा, दानवेंद्रो महाबल:, तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे! मा चल! मा चल.
आचार्य उमेश दत्त शुक्ला कहते हैं कि रक्षा बंधन का पर्व मुहूर्त को ध्यान में रख कर मनाना चाहिए. शुभ मुहूर्त में किए कार्य का फल भी शुभ मिलता है. भाई बहन जीवन भर एक दूसरे के साथ इस पवित्र बंधन में बंधे रहते हैं. इस साल सबसे श्रेष्ठ बात यह है कि काल भद्रा रक्षाबंधन के दिन सूर्योदय के पहले ही समाप्त हो जाएगा. इसके बाद निश्चित मुहूर्त में रक्षाबंधन का पर्व अति उत्तम फल देने वाला होगा.