पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार रमेश बघेल (37) पिता परदेशीराम बघेल निवासी आवासपारा सरोना बाजार में अंडे की दुकान लगाता था। सोमवार को भी रोज की तरह अंडे की दुकान लगाया था। रात करीब 8:30 बजे दुकान बंद करने से पहले कचरा फेंकने के लिए गया तो वापस नहीं लौटा।
उधर, दुकान में पिता के आने की बेटा डीकेश बघेल प्रतीक्षा कर रहा था। काफी देर बाद कचरा फेंककर नहीं आया तो डीकेश स्वयं टार्च लेकर देखने गया तो दो-तीन लोग भागते हुए दिखाई दिए और उसका पिता रमेश बघेल लहूलुहान हालत में कूड़े के ढेर में तड़प रहा था। लहूलुहान पिता को देखकर बेटा जोर-जोर से चिल्लाने लगा, आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और तत्काल पुलिस को सूचना दी। लहूलुहान हालत में रमेश को अस्पताल भेजा गया जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। हत्या की सूचना पर नरहरपुर थाना प्रभारी, क्राइम ब्रांच, दुधावा चौकी पुलिस तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गई। एसडीओपी आकाश मरकाम पुलिस टीम के साथ डाग स्क्वाड के साथ मौके पर पहुंच गए।
पुलिस ने हत्या के शक के आधार पर तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। मृतक के पिता ने चार लोगों को अपने बेटे का हत्यारा बताकर गिरफ्तार की मांग कर रहा है। वहीं बताया जा रहा कि कचरा को लेकर अंडा दुकानदार और एक अन्य दुकानदार से बीच-बीच में विवाद होता रहता था। देर शाम तक मुख्य आरोपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा था। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया। वहीं अज्ञात के खिलाफ दुधावा पुलिस मर्ग कायम कर विवेचना में लिया है।
हत्या के विरोध में सरोना बाजार रहा बंद
मृतक रमेश बघेल के हत्या के आरोपी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मंगलवार को सरोना चेंबर चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा बाजार बंद रखा। व्यापारियों ने कहा कि इससे पहले भी हत्या हो चुकी है। पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है। वहीं एसडीओपी आकाश मरकाम ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। जल्द ही आरोपी को पुलिस गिरफ्तार कर लेगी।
पांच साल पहले हत्या की गुत्थी नहीं सुलझी
नंदलाल हत्याकांड के पांच साल बाद भी पुलिस खुलासा नहीं कर पाई थी कि सोमवार की रात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सरोना में ही एक और हत्या पुलिस प्रशासन के लिए सरदर्द खड़ा कर दिया है। बहरहाल इस मामले में संदेह के आधार पर पुलिस ने तीन लोगों को उठाया है। जबकि मुख्य आरोपी फरार बताया जा रहा है। इसी तरह से 2013 विधानसभा चुनाव के बाद नंदलाल हत्याकांड में पुलिस महकमा संदेह के आधार पर पांच साल में कई लोगों को अहमदाबाद से दिल्ली तक ब्रेन-मैपिंग के नाम पर लाखों रुपए फूंक चुकी, बावजूद हत्यारे हाथ नहीं लगे, जो खाकी की सुस्ती को बयां कर रहा है। पांच साल बाद भी नंदलाल हत्याकांड का खुलासा नहीं होने पर पुलिस खुद कटघरे में नजर आ रहा है।