इस दौरान आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने कहा 13 फरवरी 2019 सर्वोच्च न्यायालय ने वनाधिकार कानून के तहत मिले पट्टा को निरस्त करने का फैसला सुनाया था। इस तरह के फैसले से देश में 10 लाख से अधिक गरीब बेदखल हो जाएगा। ऐसे में आदिवासियों एवं उस क्षेत्र के मूल निवासियों के लिए बहुत ही भयावह स्थिति होगी, इसके लिए छग प्रदेश के समस्त मूल समाज ने सात सूत्री मांगोंं को लेकर ज्ञापन सौंपा है।
मोर्चा द्वारा जिले के व्यापारी संगठन, चेम्बर ऑफ कामर्स, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, किसान, मजदूर, हमाल, दलित पीडि़त सभी से अपील किया था कि एक दिन अपना काम छोडकऱ सहयोग दें। अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्प संख्यक संयुक्त संघर्ष मोर्चा की ओर से नगर में प्रदर्शन किया गया।
इस दौरान सुमेर सिंह नाग, महेंद्र यादव, रमाशंकर दर्रो, बरातु राम नाग, किशोर मंडावी, सुखलाल शोरी, कमलेश कोमरा, छबीसिंग नेताम, राजेन्द्र मण्डावी, ललित मण्डावी, भावसिंग नेताम, रूपराय नेताम, बिझवार मण्डावी, नरोत्तम मण्डावी, कमल यादव, रोहन सिन्हा, नरोत्तम पटोडी, रमेश गावड़े, कुंवरलाल कवाची, शरद ठाकुर, प्रदीप कुलदीप, विजय मण्डावी, अंकित पोटाई, लोकेश कुंजाम, हलालूराम पटोडी, बृजलाल उइके, राजकुमार विश्वकर्मा, परमानंद कवाची, हृदय शोरी, गुड्डू यादव, शांता ठाकुर, रामेश्वर सलाम, मिलाप मण्डावी, मुन्ना सलाम आदि उपस्थित थे।
बडग़ांव क्षेत्र भी पूरी तरह से था बंद
बडग़ांव. देशभर में आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने सुप्रीम कोर्ट के फैसला के विरोध मे बड़े पैमाने पर गांवों, कस्बावों शहरों मे बंद का असर दिखाई दिया। शनिवार को बडग़ांव मे लगने वाला सप्ताहिक बाजार बंद रहा और देर शाम को कुछ साग सब्जी व दुकान खुला और कापसी, पखांजूर सहित व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। परलकोट मार्ग भानुप्रतापपुर से बांदे चलने वाली बस, टैक्सी, ट्रक और अन्य वाहनों के पहिए थम गए।
आदिवासियों जमीन बेदखल के विरोध मे बडग़ांव, दुर्गकोंदल, कापसी, पखांजूर क्षेत्र दर्जनों गांवों के आदिवासी ग्रामीणों ने अपने ब्लॉक, तहसील मुख्यालयों में रैली निकालकर न लोकसभा न विधानसभा सबसे ऊंचा ग्रामसभा का जमकर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया गया। ब्लाक मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन कर आदिवासी समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम सबोधित ज्ञापन सौंपा।