script

स्व-सहायता समूहों ने नहीं बनाया 3.50 करोड़ के गेंहू का रेेडी टू ईट

locationकांकेरPublished: Sep 22, 2018 04:25:37 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा रेडी टू ईट बनाने में करोड़ों का गड़बड़झाला सामने आ रहा है।

government office

स्व-सहायता समूहों ने नहीं बनाया 3.50 करोड़ के गेंहू का रेेडी टू ईट

कांकेर. महिला एवं बाल विकास विभाग की मॉनिटरिंग में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा रेडी टू ईट बनाने में करोड़ों का गड़बड़झाला सामने आ रहा है। रेडी टू ईट बनाने के लिए आबंटित 17200 क्विंटल गेंहू का उपयोग नहीं किया गया है, न ही यह गेंहू समूहों के पास स्टॉक में उपलब्ध है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा कि आखिर गेंहू कहां गया। विभाग से मिले दस्तावेज में योजना प्रारंभ होने से अब तक बाजार भाव की दर से करीब 3.50 करोड़ से अधिक के गेहूं में गड़बड़झाला किया गया है। यानी जिले में कुपोषण दूर करने के नाम पर सिर्फ कागजी कोरम पूरा किया जा रहा है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से छोटे-छोटे बच्चों का कुपोषण दूर किया जाना है। कुपोषण दूर करने के नाम पर शासन से हर साल करोड़ों का बजट भी मिल रहा है। चावल से बच्चों को गरम भोजन और गेहूं से रेडी टू ईट बनाकर बच्चों की सेहत में सुधार किया जाना है। विभाग के जिम्मेदारों की मॉनिटरिंग में धरातल तक मजबूती देनी है। जबकि अफसरों की लापरवाही के चलते गेहूं की आपूर्ति के बाद भी रेडी टू ईट नहीं बनाया गया और गेहूं भी खत्म हो गया।

वर्ष 2009 – 10 से यह योजना प्रारंभ है। महिला एवं बाल विकास विभाग से मिले दस्तावेज में 2010 – 11 में 2840 क्विंटल गेहूं का आज तक उपयोग नहीं किया गया है। 2011 – 12 में मिले 5200 क्विंटल गेंहू का उठाव करने के बाद भी रेडी टू ईट तैयार नहीं किया गया। इसी तरह से 2015 – 16 में 9300 क्विंटल गेहूं से रेडी टू ईट बना ही नहीं और महिला एवं बाल विकास विभाग के कागज में कोटा पूरा हो गया। पत्रिका के पड़तााल में खुलासा होने पर विभाग में हड़कंप मचा है। हजारों क्विंटल चावल और गेहूं की आपूर्ति में करोड़ों का फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस खुलासा से स्पष्ट हो गया कि कुपोषण के नाम पर बच्चों की सेहत तो भले ही नहीं सुधरी लेकिन इस विभाग के जिम्मेदारों ने अपनी-अपनी आर्थिक सेहत सुधार ली है। महिला एवं बाल विकास विभाग में जिले में अब तक की यह सबसे बड़ी गड़बड़ी सूचना के अधिकारी में बाहर आई है।

10 करोड़ के बजट का गेहूं नॉन ने नहीं दिया

इसी तरह से नॉन एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के बीच में 51600 क्विंटल गेहूं नहीं मिला है। बाजार भाव की दर से इस गेंहू का मूल्यांकन किया जाए तो 10 करोड़ से अधिक का बताया जा रहा है। जबकि इस गेहूं के बदले महिला एवं बाल विकास विभाग करोड़ों का भुगतान कर चुका है। आखिर करोड़ों की गड़बड़ी के लिए कौन जिम्मेदार होगा। आखिर बच्चों का खुराक कौन डाकर गया। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो