आयोजन में डॉ. पुष्पलता मिश्रा ने बताया कि कुपोषण अर्थात समुचित पोषण का अभाव होना जिसके कारण शरीर व बुद्धि का उचित विकास नहीं हो पाता। शरीर दुर्बल एवं क्षीण हो जाता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होती है और बच्चा तरह-तरह के रोगों से ग्रसित होता है, जहां क्रियाशीलता में भी कमी होती है समुचित विकास नहीं हो पाता। कुपोषण से मुक्ति के लिए सर्वप्रथम कुपोषण के कारण को जानना होगा जिस कारण से बच्चा कुपोषित है उस कारण का निवारण की कुपोषण मुक्ति का साधन है।
संतुलित आहार की कमी भोजन में होने से शरीर आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाता है। जिसके कारण शरीर के धातुओं का पोषण भी कम हो पाता है। इसके लिए पौष्टिक आहार जिसमें कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, मिनरल पर्याप्त हो उसका सेवन करना जैसे अनाज, चांवल, जौ, गेहूं, मूंग, अरहर दाल का सेवन। फ लों में आम, केला, सेव, अनार, बादाम, गुड़, फ ल्ली, चना का सेवन करना चाहिए। धूध हरी सब्जी, पालक, लौकी, कद्दु, पपीता, चौलाई का सेवन किया जाना चाहिए। विभीन्न रोगों में कृ मि तथा उससे बचाव के लिए विशेष रूप से जागरूक होने की आवश्यकता है।