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रत्ना सरकार और मनमत ढाली के खिलाफ अपराध दर्ज करने के लिए जो पत्र स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस के समक्ष सौंपा है, उस आधार पर पुलिस अपराध दर्ज करने से हाथ खड़ा कर दिया है। चार माह पहले जिन्हें जांच टीम ने दोषी करार दिया था उनके खिलाफ पुलिस अपराध दर्ज करने के बजाए स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है।पंचायत मंत्री को पत्र के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों ने सदन के लिए जानकारी भेजा कि मनमथ ढाली और रत्ना सरकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को पत्र प्रेषित किया गया है। वहीं पुलिस के अधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने अधूरे दस्तावेज के साथ पत्र भेजा है। ऐसे में अपराध दर्ज नहीं किया जा सकता है। यानी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही गलत दस्तावेज थाना प्रभारी को सौंप दिए हैं। कहीं न कहीं अफसर ही दोषियों को बचाने के लिए चार माह से अपराध दर्ज नहीं करा रहे हैं।
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प्रदीप डडसेना को नहीं किया गया है पदमुक्तस्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों ने सदन में पंचायत मंत्री टीएस सिंह देव को पत्र के माध्यम से जानकारी दिया है कि जिला समन्वयक मितानिन कार्यक्रम को पद मुक्त करने के लिए संचालक राज्य स्वास्थ्य संचालक रायपुर को भेजा गया है। पर मदमुक्त किया गया या नहीं स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों को जानकारी नहीं है। बता दें की प्रदीप डडेसना इसी पद पर रायगढ़ में नौकरी कर रहा है। मितानिनों के प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी की जांच 23 फरवरी को हो चुकी है। स्वाथ्स्य विभाग की कार्रवाई शुन्य है।