छत्तीसगढ़ की जनता ने देश के सुर से अपना सुर मिलाते हुए भारतीय जनता पार्टी के साथ रहना ही मुनासिब समझा। और मोहन मंडावी को दिल्ली भेज कहा कि मोदी है तो मुमकिम है। बात कांकेर लोकसभा (Kanker Lok Sabha Seat) की करें तो यहां मतदाताओं ने परिवर्तन की बयार को खारिज करते हुए राष्ट्रवाद के पक्ष में जनादेश सुनाते हुए भाजपा के मोहन मंडावी को देश की सबसे बड़ी पंचायत में क्षेत्र का नेतृत्व करने का अवसर प्रदान किया।
भाजपा के मोहन मंडावी अब संसद में विक्रम उसेंडी के स्थान पर लोकसभा क्षेत्र का नेतृत्व करेंगे। कांकेर सीट पर भाजपा की जीत ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी की राजनीतिक प्रतिष्ठा को भी बचाने का कार्य किया, क्योंकि यहां प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उनकी प्रतिष्ठा दांव पर थी। कांकेर लोकसभा सीट पर पिछले पांच चुनावों से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ही सफलता अर्जित कर रहे हैं।
इस बार लोगों को उम्मीद इसलिए भी कि शायद यहां से कांग्रेस को सफलता मिले कारण कि सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के ही विधायक हैं। क्षत्रपों की फौज के आगे मोहन मंडावी केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों और विकास कार्यों को लेकर अपनी ढाई दशक पुरानी इस परंपरागत सीट पर लोगों के बीच जाने का कार्य किया।
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने अपने सभी दस सांसदों का टिकट काटते हुए नए चेहरों को मैदान में उतारा था और इसी में कांकेर के मोहन मंडावी भी थे। मोहन मंडावी को मिली इस जीत ने यह साबित कर दिया कि अब इस सीट पर भाजपा का दबदबा है। कारण पिछले पांच चुनाव से लगातार भाजपा जीत रही थी।
इससे पहले पांच बार कांग्रेस ने भी जीत हासिल की थी। भाजपा (BJP) की जीत लगातार छठवीं जीत हो गई। भाजपा ने कांग्रेस (Congress) के इसी सीट (Kanker Lok Sabha Seat) पर पांच बार लगातार जीत के रिकार्ड को तोड़ दिया। 2014 में विक्रम उसेंडी की जीत भाजपा की पांचवीं जीत थी।