सूचना के अधिकार के दस्तावेजों से मिली जानकारी में कलक्टर के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग ने 6 सदस्यीय टीम का गठन जांच के लिए किया था। कोयलीबेड़ा जनपद पंचायत सीईओ को इस गड़बड़ी की जांच के लिए अध्यक्ष बनाया गया था। जबकि इस गड़बड़ी के प्रमुख दोषी खंड चिकित्सा अधिकारी कोयलीबेड़ा को भी जांच टीम में सदस्य की जिम्मेदारी विभाग ने सौंप दी थी। चार अन्य सदस्यों में जिला कार्यक्रम प्रबंधक रा. स्वा. मिशन, जिला लेखा प्रबंधक रा. स्वा. मिशन और जिला मितानिन समन्वयक, ब्लॉक लेखा प्रबंधक कोयलीबेड़ा ने ब्लॉक की कुल 345 मितानिनों का बैंक खाता सत्यापन करने के बजाए ९६ मितानिनों के खाता की जांचकर 396 मितानों की सूची तैयार कर दी।
जिसमें 48 लाख 89 हजार 891 रुपए का घोटाला उजागर हो गया। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट कलक्टर को फरवरी माह में ही सौंप दी थी। जिसमें मनमत ढाली स्वास्थ पंचायत समन्वयक एवं रत्ना सरकार ब्लॉक समन्वयक को दोषी करार दिया गया था। यह दोनों कर्मचारी संविदा पर अपनी सेवा दे रहे थे। 23 फरवरी 2019 को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने खंड चिकित्सा अधिकारी को तत्काल एफआईआर दर्ज कराने के लिए आदेश जारी किया था।
जांच रिपोर्ट तैयार होने और आदेश के बाद भी न तो अभी तक कोयलीबेड़ा बीएमओ ने अपराध दर्ज कराया न ही विभाग को सूचना दी। पड़ताल करने पर खुलासा हुआ कि मितानिनों के पारिश्रमिक भुगतान की फाइल बीएमओ के हस्ताक्षर से ही जिला पंचायत पहुंचनी थी। जहां से मितानिनों के खाता में भुगतान किया जाना था। बीएमओ ने खुद की जिम्मेदारी से बचते हुए ब्लॉक समन्वयक के हाथों मितानिनों के पारिश्रमिक भुगतान की फाइल बढव़ा दी। ऐसे में 48 लाख का घोटाला हो गया।