शनिवार को वन विभाग के कमरे में मवेशियों के मौत के बारे में एक भी अधिकारी कर्मचारी बोलने को तैयार नहीं दिखा। पत्रिका टीम ने आसपास के लोगों से जानकारी ली तो बदबू से परेशान आमजन ने बताया कि यह किसी को नहीं मालूम था कि इस कमरे में बेजुबान जानवरों को मरने के लिए किसी ने बंदकर ताला जड़ दिया है।
वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की यह बड़ी लापरवाही है। आसपास के लोगों ने कहा कि मवेशियों को शायद इस कमरे में इस लिए बंद कर दिया गया कि नर्सरी के प्लांटेशन में घास चरने के लिए जाते थे। मवेशियों को मरने के लिए कमरे के अंदर बंद करने वाले के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। आसपास के लोगों ने कहा कि अब भी तो पौधों के प्लांटेशन में मवेशी घुस रहे हैं, तब भी आ रहे थे, बेजुबानों को तड़पने के लिए ऐसा बर्ताव नहीं होना चाहिए। बेजुबान जानवरों को इस तरह से कमरे में बंदकर मौत के लिए छोड़ देना बड़ा अपराध है।
भूख-प्यास से तड़प-तड़प कर तीनों मवेशियों की मौत हो गई। वन विभाग के अधूरे कमरे में करीब दो माह पहले तीनों मवेशियों को एक रूम में किसी ने बंद कर दिया था। मवेशियों ने भूख प्यास के चलते दम तोड़ा है। शनिवार को उक्त कमरे का ताला खोला गया तो सड़े मवेशियों के मलबा किसी तरह बाहर किया गया। तीन मवेशियों की भूख-प्यास से मरने की खबर तेजी से फैल गई। इससे विभाग में हडक़म्प मचा हुआ है। आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई वन विभाग के अधिकारी बोलने को तैयार नहीं हंै।
रेंजर पश्चिम बांदे एएस ठाकुर ने बताया कि यह घटना लगभग दो माह पहले की है। ऑफिस के सामने यह घटना बड़ी लापरवाही है। मैं सहायक परिक्षेत्र अधिकारी से तत्काल जांच करवाता हूं। जाचं के बाद ही कुछ बता पाऊंगा। वैसे यह बड़ी लापरवाही है।