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वल्र्ड गर्ल चाइल्ड डे : सेव गर्ल चाइल्ड, सेव फैमिली एंड सेव वल्र्ड

locationजोधपुरPublished: Oct 11, 2019 02:50:21 am

Submitted by:

M I Zahir

जोधपुर. आज वल्र्ड गर्ल चाइल्ड डे ( World Girl Child Day ) है। बेटियों के जन्म के प्रति समाज का नजरिया बदल गया है। बेटियों के जन्म ( Birth of Daughters ) पर भी खुशियां मनाई जाने लगी हैं। जन्म दर ( birth rate ) की बात करें तो हर साल लडक़े-लड़कियों की संख्या में 1000 का अंतर आ गया है। उम्मेद अस्पताल ( ummed hospital ) में हर साल करीब 25 हजार प्रसव होते हैं। वल्र्ड गर्ल चाइल्ड डे पर पेश है पत्रिका की स्पेशल रिपोर्ट ( special report of patrika ) :

World Girl Child Day: Save Girl Child, Save Family and Save World

World Girl Child Day: Save Girl Child, Save Family and Save World

एम आई जाहिर/ जोधपुर. बेटी है आंख का तारा, बेटी है तो जग लगे प्यारा। आम तौर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की कम संख्या होने को लेकर लोग बहुत चिंता जताते हैं। लिंगानुपात के इस अंतर को कम करने के लिए सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं के स्तर पर कई उपाय किए जाते हैं। असल में इंसान के लड़कियों से कम प्यार या उन्हें दुनिया में आने देने की गलतियों के कारण लडक़ों के मुकाबले लड़कियों की आबादी का अनुपात ( Birth of Daughters ) कम हुआ है। वल्र्ड गर्ल चाइल्ड डे पर पेश है पत्रिका की स्पेशल रिपोर्ट ( special report of patrika ) :
बढ़ सकती है संख्या

संभाग के सबसे बड़े जनाना अस्पताल ‘उम्मेद चिकित्सालय’ ( ummed hospital ) के पिछले कुछ बरसों के प्रसव के आंकड़े बताते हैं कि हर साल जनसंख्या में लडक़ों की संख्या एक हजार बढ़ जाती है और तुलनात्मक रूप से लड़कियां एक हजार कम ( birth rate ) हो जाती हैं। इस अस्पताल में करीब 25 हजार प्रसव होते ह 13 हजार लडक़े होते हैं और 12 हजार लड़कियां। लडक़े और लड़कियों में यह अंतर सालों से चल रहा है। आप अगर कोशिश करें तो गर्ल चाइल्ड की संख्या बढ़ सकती है।
कुदरत इसलिए करती है लडक़ों का चुनाव

बहरहाल पूरे विश्व में 100 लड़कियों पर 105 लडक़े पैदा होते हैं। पुरुषों की औसत आयु महिलाओं की तुलना में कम होती है। भारत में पुरुष 64 वर्ष और महिलाएं 65 साल जीती हैं। संक्रामक बीमारियां जैसे हृदय रोग, डायबिटीज व तनाव से होने वाली मौत पुरुषों में अधिक होती है। यही वजह है कि सालों बाद भी पुरुष व महिलाओं का अनुपात प्रकृति ने बराबर रखा है। केवल इन्सान की करतूत की वजह से ही लड़कियों की आबादी का अनुपात गिरा है।
उम्मेद अस्पताल में प्रसव के आंकड़े

वर्ष— कुल प्रसव — लडक़े — लड़कियां

¢2013 — 24,225 — 12,246 — 11,215

2014 — 25,113 — 12,657 — 11,720
2015 —22645— ¸11,541— 10374

2016—-21960—11093— 10185
2017—-21883—11223–10097
2018—-21669—11029–10008
2019 सितंबर तक-15948–8151–7385


लोगों की सोच बदली है

बेटियां कुदरत का दिया हुआ वो अनमोल तोहफा है, जिसके बारे में वो ही बता सकते हैं जिसके घर पर बेटियां हैं।
मैं जब पीजी कर रही थी, तब माहौल अलग था और आज खुद उम्मेद अस्पताल में देखती हूं कि गर्भवती महिलाएं और प्रसूताएं जो बातें करती हैं या उनके पति और सास कन्या जन्म पर उत्साहित होते हैं और खुशी होती है। पहले के मुकाबले अब लोगों की सोच में बदलाव आया है और लोग बेटियों के जन्म को लेकर उत्साहित होते हैं।
– डॉ. रंजना देसाई
अधीक्षक, उम्मेद अस्पताल

जोधपुर

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