इनमें से कई शौचालय ग्रामीणों की निजी जमीन व घरों में बना दिए गए हैं। जगदीश के साथ जिला परिषद सदस्य शिवचरण विश्नोई ने भी मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रदीप गवाण्डे से शौचालयों को लेकर फाइलें मांगी तो गवाण्डे के पास कोई खास उत्तर नहीं था। समिति के अध्यक्ष डॉ. पृथ्वीसिंह चौधरी ने गवाण्डे को शौचालयों की स्वीकृति और प्रस्ताव के कागज बताने को कहा, लेकिन सीईओ के पास कोई जवाब नहीं था। समिति की बैठक में दो घण्टे तक इस बात को लेकर हंगामा चलता रहा।
केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत गांवों में टॉयलेट सीट्स, बाथिंग क्यूबिकल्स, वाशिंग प्लेटफॉर्म, वाश बेसिन युक्त सार्वजनिक शौचालय बनाने के निर्देश जारी किए थे। एक शौचालय की कीमत करीब 2 लाख रुपए आंकी गई। शौचालय गांव के सार्वजनिक स्थान मसलन बाजार, बस स्टैण्ड और अधिक भीड़भाड़ वाली जगह पर बनाने है। जगदीश विश्नोई ने बताया कि इसके लिए केंद्र सरकार 60 फीसदी, राज्य सरकार 30 फीसदी और 10 फीसदी राशि संबंधित गांव देगा। इन शौचालय का प्रस्ताव स्टेट लेवल स्कीम सेंक्शन कमेटी के समक्ष रखना पड़ता है, लेकिन जोधपुर में एक भी सार्वजनिक शौचालय का प्रस्ताव नहीं रखा। अब तक करीब 200 शौचालय बन गए हैं। साथ ही 150 और शौचालय पाइपलाइन में है।
अध्यक्ष की खुद की कोई नहीं सुनता जिला परिषद के अधिकारी गुपचुप तरीक से
काम कर रहे हैं। हम कुछ भी पूछते हैं वे बताते नहीं है। बैठक के दो महीने तक अनुपालना रिपोर्ट नहीं आती है। बैठक में कुछ और होता है और मिनट्स में कुछ और लिखा जाता है। ऐसा लगता है कि हम केवल यहां साइन करने के लिए ही आते हैं।
– डॉ. पृथ्वीसिंह चौधरी, अध्यक्ष, जिला परिषद स्वच्छता समिति रेवडिय़ों की तरह बांट दिए शौचालय
आप लोगों ने (जिला परिषद) ने सार्वजनिक शौचालयों को रेवडिय़ों की तरह बांट दिया है। सरकार का पैसा पानी की तरह बह गया। यह कोई तरीका होता है। जो आया उसको सार्वजनिक शौचालय दे दिया। प्रधान और ग्राम पंचायतों को तो पता भी नहीं है। इसकी जांच होनी चाहिए।
– गजेंद्रसिंह शेखावत, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री (तीन दिन पहले 10 मार्च को कलक्ट्रेट में आयोजित दिशा की बैठक में बोले थे।) पंचायतों से प्रस्ताव लेकर बनाए
अब तक 242 सार्वजनिक शौचालयों की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है। गांवों में कितने बने हैं, इसको लेकर रिपोर्ट मांगी गई है। गाइडलाइन में स्टेट लेवल कमेटी से प्रस्ताव स्वीकृति का जरूर लिखा है, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने सीईओ और एसीईओ को वित्तीय स्वीकृति के लिए अधिकृत कर दिया था। हमने पंचायतों से प्रस्ताव लेकर ही शौचालय बनवाए हैं।
-प्रदीप गवाण्डे, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद समन्वयक को भी पता नहीं
जिले में अब तक कितने सार्वजनिक शौचालय बने हैं, इसकी जानकारी तो मुझे नहीं है। 242 स्वीकृत हुए हैं तो संभवत: पचास से अधिक बन गए होंगे।
सोहन चौधरी, समन्वयक, स्वच्छ भारत मिशन जिला परिषद जोधपुर